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अन्जानी मोहब्बत









✍️डॉली अग्रवाल


मौसम बड़ा ही ख़ुशगवार हो गया था , नेहा कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी ! गुनगुनाते हुए बाल बनाते हुए माँ से बोली आज एक्स्ट्रा क्लास है देर हो जायेगी ! किताब उठा घर से निकल पड़ी , मौसम की रुमानियत में आधे रास्ते पहुँची ही थी की अचानक से हलकी सी बारिश तेज़ हो गयी ! नेहा खुद को कोस रही थी की जल्दी में छाता लाना भूल गयी , और हवा इतनी तेज़ की सब उड़ा कर ले जाने को तैयार ! नेहा दुपट्टा कस कर पकड़ कुछ सोच ही रही थी की सामने सड़क के उस पार किसी का ऑफिस नजर आया ! उसने अपने तेज़ कदम उसी और बढ़ा दिए !
ऑफिस की खिड़की के नीचे , एक तरफ खड़ा होकर उसने दुप्पटे से चेहरा पूछा और बालो को भी निचोड़ लिया ! सूट थोडा गीला हो गया था ! नेहा का दिमाग बारिश रुकने और क्लास मिस होने में लगा था , बार बार घड़ी देख रही थी ! 
कही दो निग़ाहें उसे देख रही थी ! ऑफिस के अंदर बैठा राज नेहा को अपलक देखे जा रहा था ! गेट पर काले शीशे होने से वो बहार का देख सकता था , बाहर वाला उसे नहीं ! गीले गीले बालो में नेहा का मासूम चेहरा और भी प्यारा लग रहा था !
थोड़ी देर में बारिश रुकी तो नेहा किताबो को हाथ में उठा तेज़ी से कॉलेज की तरफ भागी ! अभी भी दो पीरियड बाकी थी ! M, com का फाइनल साल था ! तेज़ी से जाते हुए उसका लाइब्रेरी का कार्ड वही गिर गया जिस पर उसका ध्यान नही गया !
उसके जाने के बाद राज जैसे ही बहार आया उसकी नजर कार्ड पर पड़ी ! उसकी फ़ोटो और फ़ोन नंबर और पता उसे मिल गया था ! उसने कार्ड नोकर के हाथ कॉलेज में जमा करवा दिया !
अब राज रोज उसका इंतजार करता और आते जाते देखता था , नेहा  उसके मन को भा गयी थी ! नेहा। के पिता को वो जानता था ! एक बहुत ही सज्जन इंसान थे इसलिए वो कभी सामने आने की हिम्मत न कर सका !
एग्जाम से पहले कॉलेज बन्द हो गए नेहा का आना भी बन्द हो गया ! 2 दिन से उसने नेहा को नही देखा था हिम्मत कर उसने फ़ोन कर दिया !
आप कौन ? नेहा की आवाज पहली बार सुनी !
जी , बस यूँही फ़ोन लग गया था !
हद है बतमीजी की , आप लोगो को बहाना चाहिए , लड़की की आवाज सुनी नहीं और ड्रामे शुरू ! आइन्दा यहाँ फ़ोन किया तो अच्छा न होगा !
नेहा की एक दोस्त थी वीना ! एक बार नेहा ने वीना के घर किसी लड़के को  देखा था , सुंदर , हैंडसम ! पहली ही नजर में वो उसे भा गया था ! वीना से पता चला वो उसके भाई का दोस्त है ! जब से उसने उसे देखा था तो दुआ करती की वो उसे मिल जाए !
एक बार पिकनिक का प्रोग्राम बना उसमे नेहा और दूसरी लड़किया भी शामिल थी ! वीना की माँ ने वीना के भाई राहुल से कहा अकेली लड़किया जायेगी ! दूसरी गाडी से तू भी चला जा , जमाना ऐसे ही ख़राब है !राहुल ने राज को फ़ोन करके चलने को कहा ! अकेले बोर हो जाऊंगा !
नदी के किनारे पहुचे तो राहुल और राज सामान निकालने लगे ! नेहा ने राज को देखा तो मन ख़ुशी से झूम उठा ! उधर राज भी नेहा को वहा देख खुश था ! लेकिन दोनों एक दूसरे के दिल से अन्जान ? राज को देख नेहा के मन में ख्याल आया -----


"कभी कभी दुआऐं ऐसे पूरी हो जाती है जैसे पलको का आँखों से मिलना "


अब हर वक्त ख्वाबो में मिलना पर अनजाने मन ! नेहा राज को और राज नेहा को प्यार करते रहे पर बेखबर !


क्या बताये जनाब प्यार कैसा होता है/कभी करार तो कभी बेकरार होता है/अजीब होता है हाल उस वक्त दिल का/जब किसी को किसी से प्यार होता है !!


एग्जाम सर पर थे सब भूल पढ़ाई में लग गयी ! पेपर खत्म होते ही उसे घर में अपनी शादी की बात सुनाई देने लगी ! मन डूबने लगा नेहा का ! कई बार मन हुआ माँ को राज के बारे में बता दे पर हिम्मत ना हुई !रात कितनी बार यूँही आँखों में कट जाती थी । कुछ दिन बात पता चला की इतवार को देखने लड़के वाले आएंगे ! पहले सिर्फ माँ पिता ही पसंद करेंगे ! उनकी हां के बाद ही उनका लड़का मिलेगा !
कही किसी होटल में लड़के के माँ बाप आये और नेहा को मिले ! नेहा तुम बहुत प्यारी हो , मेरे बेटे की पसंद हो और हमे भी पसंद हो ! लड़के की माँ ने कहा तो , नेहा सुन कर मन ही मन परेशान  हो उठी , नेहा को बहुत रोना आ रहा था ! एक ख्याल गुनगुना उठा राज के लिये --------


तुम बिन
गुम सी बेरंग सी में
साथ मेरे पर साथ नही , तुमसे हारी में
आधे मुझ में तुम हो बसते
तुम बिन आधी - अधूरी सी में !!


लड़के के पिता बोले -- हमे नेहा पसंद है एक बार हमारा बेटा अकेले में बात करना चाहता है , वो नीचे गाडी में है !
पिताजी की सहमति के बाद लड़के को फ़ोन कर ऊपर आने को कहा और खुद सब कमरे से बहार आ गए ! सबके बहार जाते ही नेहा की आँखों से अटके आँसू टपक पड़े !
किसी की दरवाजे पे आहट सुन कमर घूमा नेहा आँखे साफ़ करने लगी ! तभी कमरे में आवाज गूँजी --- आप कौन ?
जी बस यूँही फ़ोन लग गया था !
उफ़्फ़्फ़ अपनी आवाज सुन नेहा पलटी तो --------/ सामने राज को देख नेहा आश्चर्य से भर उठी  थी ! भाग कर नेहा राज के गले से लग कर रोने लगी और बोली -- राज में तुमसे प्यार करती हूँ , बहुत ज्यादा ! मुझे यहाँ से ले जाओ !
अब चौकने की बारी राज की थी , और फिर राज ने वो  सब कहा जो नही कह सका था ! फ़ोन , बारिश मुलाकात सब ! और नेहा राज खिलखिला उठे ! प्यार की चमक नेहा के गालो को छू रही थी !



*गुड़गांव  

 



 




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