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आया सावन

 



✍️आशु द्विवेदी

देखो फिर से आया सावन। 

सबके मन को भाया सावन। 

 

गरज़ गरज़ के बादल गरजे।

रिमझिम रिमझिम बूंदे बरसे।

 

मस्ती में सब मिल कर झूमे। 

बागों में देखो डल गए झूले। 

 

सन सन सन बहती हवाएँ।

कोयल अपना गीत सुनाएँ। 

 

वन में नाच रहे हैं मोर। 

पंछी भी देखो करते शोर। 

 

चारो तरफ हरियाली छाई। 

किसानो के मन को खूब लुभाई। 

*दिल्ली

 


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