Subscribe Us

वो सब को रुला गया




*अंजनी कुमार

जो हजारों दिलों में दीपक सा जला करता था जो कल तक

ऐसी भी क्या मजबुरी थीं, जो खुद से खुद को बुझा गया

जिन्दगी पर भारी मौत, कभी न जागने वाली नींद में उसे सुला गया

ऐसा भी कौन सा बवंडर था, जो उस चिराग को बुझा गया

जिसे देखकर खुश हुआ करता था जहां, वो सब को रुला गया

कलाकार था बड़ा रील लाईफ में जीतकर, रियल लाईफ से हार गया

क्या, क्यो, कैसे, किससे अनगिनत सवालों में हम सब को उलझा गया

धन-दौलत, ओहदा शायद उतने मायने नहीं, इतना तो जरुर समझा गया

मुखौटा पहनकर हीं छुपा लेता खुद को, क्यो मौत से खुद आंखे मिला गया

जिसे देखकर खुश हुआ करता था जहां, वो सब को रुला गया


*अशोक रोड, टेल्को


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ