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विश्व पर्यावरण दिवस और कोरोना लॉकडाउन



*डॉ. रीना रवि मालपानी

कोरोना लॉकडाउन का विश्व पर्यावरण पर प्रभाव, 

स्वच्छ हुआ पर्यावरण निर्मल हुआ नदियों का प्रवाह।

विश्व पर्यावरण दिवस में है पर्यावरण संरक्षण का संकल्प, 

कुदरत की नियति ने दिया अलग ही विकल्प।

प्रतिवर्ष 05 जून को मनाया जाता विश्व पर्यावरण दिवस, 

मानव को पर्यावरण संरक्षण की देता समझ।    

पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन का लेना है प्रण, 

प्रकृति की सुरक्षा के साथ जितना है कोरोना का रण।

चिंताजनक विषय है प्रदूषित होता पर्यावरण, 

स्वच्छ करना है पृथ्वी का आवरण।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रेरित करना है इस दिन का उद्देश्य, 

कोरोना त्रास से प्रकृति ने दिया मानव को यह उपदेश।

विकास की अंधी दौड़ और उन्नति की भोर, 

इस कशमकश में भूल गए पर्यावरण की छोर।

कोरोना ने दिया पर्यावरण को स्वस्थ होने हेतु अवकाश, 

हमें सबक लेकर रोकना होगा प्रकृति का विनाश।

लॉकडाउन ने किया हवा का जहर न्यून, 

पक्षी है स्वच्छंद और वसुंधरा में खिले प्रसून।

लॉकडाउन ने किया पर्यावरण में क्रांतिकारी बदलाव, 

कोरोना की इस लड़ाई में अब हमें भी बदलना है स्वभाव।

ओज़ोन परत में हुआ परिवर्तन बदली है तस्वीर, 

पर्यावरण के प्रति अब हमे जागरूकता रखनी है गंभीर।  

 चंडीगढ़ से हिमालय की चोटियाँ है दिखी,

 प्रदूषण की कई परते आसमां से हटी।

ऐसा बदला पर्यावरण का परिदृश्य, 

जब विश्व में आया कोरोना शत्रु अदृश्य।

चिड़ियों के चहचहाहट से गुंजायमान हुआ आकाश, 

वसुधा भी दिखा रही नवीन रूप का देदीप्यमान प्रकाश।

प्राकृतिक जलस्त्रोतों का पानी बना शुद्ध, 

कुदरत के कहर से मौन हुए प्रबुद्ध।

कुदरत ने जारी किया यह फरमान, 

मनुष्य तो केवल है यहाँ मेहमान।  

लॉकडाउन ने दिये पर्यावरण में सुधार के संकेत, 

हमें अब प्रकृति की सुरक्षा के लिए रहना है सचेत।

वन्य जीवों की बढ़ी चहल-कदमी, 

उद्योग संस्थानो की रफ्तार है थमी।

प्रकृति ने किया कैसा लॉकडाउन, 

सबकुछ होते हुए बेबस हुआ इंसान।

प्राकृतिक संतुलन और संहार की कैसी है कड़ी, 

दुनिया इस दृश्य को मुक देखती है खड़ी।

प्राकृतिक संसाधनों का किया हमने हृास,, 

तभी मानव को मिला यह त्रास।

प्रकृति ने दिया यह स्पष्ट संदेश, 

मानव न समझे खुद को वसुंधरा का नरेश।

 

 


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