*डॉ सीमा शाहजी
कर दी है कुचमात
इस नन्हे से वायरस ने
पूरा विश्व आहत है,स्तब्ध है
जटिल आपदा बनकर
दुनिया मे खड़ा है
हर एक मनुष्य को
संक्रमित करने को अड़ा है
सोते जागते बस तू ही तू
नजर आया है
ख़ौफ़ज़दा समय ने
पृरी मानवता को थर्राया है
वक्त की पुकार है
वसुधैव कुटुम्बकम
की तरल भावनाओ में डूबे हम
इंसानियत की मधुर तान छेड़े
आपदा के विष शमन करे
नीलकंठ बन जाये
फिर कहा तू ओर तेरा साया है
बोल पड़े फिर तू ही
यह किसने मुझे ठेंगा दिखलाया है
काले बादल घटाटोप छाए है
ताप संताप ने कदम बढ़ाए है
फिर भी जज्बा है ,साहस है
धैर्य की सुरीली आहट है
भाग करोंना भाग
एक स्वर में सबने यही
गुनगुनाया है
आ गया है जनजागरण का तूफान
तेरे विदा होने का समय- संधान
निकट आया है ....।
*थांदला (झाबुआ)
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