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सीमा पर चढ़ आया दुश्मन



 

भूलो अपनी दलगत अनबन।

सीमा  पर चढ़  आया दुश्मन।

खतरे  में  है  अब घर आँगन।

सीमा  पर चढ़  आया दुश्मन।

 

बात   नहीं   पोशीदा  अब  ये,

जान गया है इसको जन जन।

मतदो मन बढ़ अपना भाषन।

सीमा  पर चढ़  आया दुश्मन।

 

खूँटी  टाँगो  आज  सियासत। 

आपसकीसबभूल  शिकायत। 

आज  पुकारे  फिरसे  है  रन।

सीमा  पर चढ़  आया दुश्मन।

*अब्दुल हमीद इदरीसी,कानपुर

 


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