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प्रकाशमान हैं पिता



*डाॅ. अनिता सिंह
प्रखर हैं, आलोकित हैं, देदीप्यमान हैं पिता ।
शांत हैं शीतल हैं, प्रकाशमान हैं पिता।।
सरल हैं गंभीर हैं, एकसार हैं पिता ।
स्नेह हैं, बंधन हैं, प्यार हैं पिता ।।
आराध्य हैं,उपासक हैं,भगवान हैं पिता।
जीवन हैं, संबल हैं, सम्मान हैं पिता ।।
घर हैं, परिवार हैं, संसार हैं पिता ।
छत हैं, छाया हैं, सहारा हैंपिता ।।
पालन हैं, पोषण हैं, परिवार हैं पिता ।
शक्ति हैं, भक्ति हैं, संस्कार हैं पिता ।।
घने अंधेरे के सम्मुख चमकती धूप हैं पिता ।
जीवन में आती रोशनी के सदृश हैं पिता ।।
पिता हैं तो सर्वस्य मान सम्मान हैं ।
पिता से ही आन बान और शान हैं ।।
पिता हैं तो बच्चों का जीवन चाँदनी रात हैं ।
पिता से ही खुशहाल सारा परिवार हैं ।।
पिता बगैर जीवन का कोई अर्थ नहीं ।
पिता हैं तो बच्चों का जीवन कभी व्यर्थ नहीं ।।
*बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


 


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