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पर्यावरण



*रामगोपाल राही

 

पर्यावरण का देश में हमसे 

अलख जगाना होगा ही |

महत्वपूर्ण - यह जीवन में ,

यह समझाना होगा ही ||

 

प्रदूषण से मुक्ति हेतु  -सच, 

हमको कदम उठाना है |

पर्यावरण को लील रहा यह ,

सब समझे समझाना है ||

 

धूल धुआँ दुर्गंध सभी कुछ ,

प्रदूषण फैलाते सब |

कचरा पालीथीन धरा का 

नित्य ताप  बढ़ाते सब ||

 

वन वनस्पति कटे  ,हुई सच, 

पर्यावरण की हानि नित | 

व्यापक हुआ प्रदूषण  जिससे,  

बढ़  जिससे हानि  नित ||

 

वन वनस्पति  जितने होंगे ,

पर्यावरण बढ़ेगा ही |

भू प्रकृति हरी भरी हो, 

जीवन सुकून मिलेगा ही ||

 

पेड़ प्रजाति वन वनस्पति ,

अभयारण्य  अति सुंदर |

यह धरती के आभूषण  हैं 

लगे प्रकृति  इनसे सुंदर ||

 

प्रकृति में हम से पहले ,

पेड़ ही आए जाने सब |

सुंदरता संग हवा साथ में 

पेड़ ही  लाऐ  माने सब ||

 

बिना पेड़ पौधों के समझो 

प्रकृति सूखी  लगती है |

पर्यावरण भी हो प्रभावित ,

सृष्टि  सूखी लगती है ||

 

प्राणवायु पेड़ों से मिलती ,

सबका जीवन पेड़ों से |

फेफड़ों में प्राणी मात्र को ,

हवा मिलती पेड़ों से ||

 

प्रकृति -पर्यावरण सुरक्षा ,

 होती समझो पेड़ों से |

 शुद्ध हवा मिलती है सबको |

मिटे  प्रदूषण पेड़ों से ||

 

प्रकृति पर्यावरण भूमि का ,

रहे समन्वय कुदरत में |

हवा पानी शुद्ध रहे सच, 

पर्यावरण संग  कुदरत में ||

*लाखेरी

 


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