Subscribe Us

मोटू की वापसी



*सुरेश सौरभ 

मोटू पत्रकार लुढकते-पुढकते हुए एक महाविद्यालय में खबर खोजने निकले। एक चपरासी से मिले। चपरासी ने उनके कान में कुछ फुसफुसाया। मोटू कालेज के प्रबंधक से मिले, फिर चले गये। मोटू के जाने के बाद प्रबंधक ने उस चपरासी को बुलाया लाल-पीले होते हुए बोले-तुम्हें किसी पत्रकार से अपने कालेज की भलाई-बुराई करते हुए शर्म नहीं आती।

चपरासी ने हंसते हुए कहा-हा! हा! आप मोटू लाल की बात कर रहें हैं। मैंने तो उससे मजाक किया था।

प्रबंधक-हां मैं जानता हूं तुम कवि हो तुमने तो मजाक की होगी पर यहां मेरे तो गले ही पड़ गया। किसी तरीके से समझा-बुझा कर पांच सौ में जान छूटी।

’मुझसे तो ये कह रहा था कि साहब तुम्हारे भवन बनवाने में यूजीसी का लाखों रुपये खा गये। इसलिए मैंने उस थुलथुल को हल्के-फुल्के मुद्दो में उलझा कर आप के पास भेजा था।

’क्या क्या वो ये कह रहा था किसने उसे ये सब कहा-प्रंबधक का सिर चकराया।

’ये तो नहीं पता मुझे। पर मुझसे यही कह रहा था पांच हजार का तोड़ तुम्हारे साहब से करुंगा। तब मैंने कहा- हमारे साहब को सब पत्रकारों को देखना पड़ता उनका खुला रेट एक पत्रकार का पांच सौ रुपया है। तभी तो वह मान गया वर्ना पांच हजार की पत्ती आप पर धरता।

’ओह! ये काम अच्छा किया तुमने। ये लो सौ रुपये मिठाई खाने के। प्रबंधक ने तसल्ली की सांस लेते हुए सौ का पत्ता चपरासी के हाथ पर धरा।

कुछ दिन बाद मोटू फिर उस महाविद्यालय में आया, प्रबंधक से मिलने के लिए। वही चपरासी गेट पर था। मोटू ने मिलने के लिए कहा। तब वह चपरासी बोला-साहब आज वरिष्ठ पत्रकारों-अधिकारियों की मीटिंग में बिजी हैं, नहीं मिल पायेंगे।

‘मै भी वरिष्ठ हूं , पर मींटिग काहे की है।- मोटू ने अपना मुंह खोला।

’कुछ पत्रकार शहर में हजार पांच सौ मांगते हुए घूम रहे हैं। इस वसूली को रोकने के लिए प्रबंधक ने कुछ पत्रकारों और कुछ अधिकारियो को बुलवाया है।

‘ठीक है मैं बाद में आता हुूं। इतना कह कर मोटू वहां से घूमकर खिसक लिया। उन्हें जाता देख चपरासी पीछे से बडबडाया-साले एक तो कालेज के गहरे राज बताओ ऊपर से अपना ही धुआं उड़वाओ। करना-धरना धेला नहीं, आ गये सुबह-सुबह अपनी ढोल पिटवाने हरामखोर कहीं के। आवारा सांड-बैल की तरह थूथन लिए घूम रहे हैं। इन छुट्टा जानवरो पर पता नहीं कौन कानून बना पायेगा।

*निर्मल नगर लखीमपुर खीरी


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ