Subscribe Us

मानवता खो गई है



*डॉ. येशुक्रिती हजारे
आज टेलीविजन पर समाचार देखते हैं मेरी रूह कांप गई थी , केरल जैसे शिक्षित राज्य में एक गर्भवती हथिनी मल्लपुरम की सड़कों पर खाने के लिए उसकी तलाश जारी थी | उसे क्या पता था कि अनन्नास के अंदर कुछ और भी डालकर उसे खिलाया जा रहा  है |उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अपने स्वयं के भूख के लिए उस अनन्नास को खा लिया |  वह यह नहीं जानती थी कि उस  अनन्नास को खाते ही उसके मुंह में फटाके फूट जायेंगे उसका मुंह और जिव्हा बुरी तरह से जख्मी हो जायेंगे |
मुंह में  हुए जख्मों के कारण वह कुछ ना खा पा रही थी और ना पानी पी पा रही थी | घायल हथिनी भूख और दर्द से तड़पती हुई वहां के सड़कों पर भटकती रही, बिलखती रही | उसने न तो किसी मनुष्य को परेशान किया और न ही किसी के घरों को थोड़ा -फोड़ा | शीतलता  पाने के लिए वह पानी के अंदर ही रही | लोग उसकी वीडियो बनाए जा रहे थे लेकिन स्वयं होकर किसी ने आगे आकर उसकी सहायता नहीं की | वन विभाग को जब  पता चला तो उसे निकालने वन विभाग के लोग पहुंचे  गये और उस हथिनी को निकालने की कोशिश की गयी किंतु उसकी मृत्यु नदी में  ही खड़े -खड़े हो गयी|
वर्तमान में प्रत्येक वर्ग के लोग साक्षर हो रहे हैं लेकिन उसका क्या मतलब ?आज मनुष्य मनुष्य का न  रहा | एक दूसरे की सहायता तो दूर ,वह उसे देखना भी पसंद नहीं करते हैं |  आज मनुष्य की मानवता खो गई है |
कोरोना कोविड 19 वैश्विक महामारी ने हम मनुष्य की हकीकत को लाकर खड़ा कर दिया है लेकिन आज भी हम सब  आज भी सिर्फ यही सोच रहे हैं घरों में कैद है | आज हम सब कोरोना कोविड 19 वैश्विक महामारी से गुजर रहे है | अनेकों  मजदूर अपने घर के लिए निकल चुके है और पथ पर  आये अनेक परेशानियों, समस्याओं, कठिनाइयों से न जाने कितने दिल में  दु: खों का सामना करते हुए घर पहुंच रहे हैं |
मनुष्य ही ऐसा क्रूर और स्वार्थी प्राणी है |  जिन्हें देखकर जरा भी दया नहीं आती |  जिस प्रकार उस गर्भवती हथिनी के साथ दुर्व्यवहार किया गया | कुछ मनुष्य को यह सब करने में जरा भी दया नहीं आती | आज ऐसा वक्त आ चुका है हमें स्वयं के जीवन का कुछ पता नहीं लेकिन बेजुबानों के साथ हम क्रुरता दिखा रहे हैं | हे ईश्वर! हम सबको सद्बुद्धि प्रदान करना | आओ   हम सब मिलकर एक संकल्प ले कि हम सब सदैव इस भूमि में मानवीयता बनाये रखें और प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करे | स्वच्छ रहे और स्वच्छता सदैव बनाये रखें|
डोंगरगढ़,जिला राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़)


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ