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लूट का तांडव 








सुनील कुमार माथुर

कोरोना महामारी देश में क्या आयी । हर कोई लूट मचाने लगा है और अपने आप को लोक कल्याणकारी कहने वाली राज्य व केन्द्र सरकारें मूक दर्शक बनी लूट का यह तांडव देख रही हैं और जनता-जनार्दन मंहगाई की मार से दबती जा रही है । ऐसा लगता है कि राज्य व केन्द्र सरकार ने मिलकर व्यापारियों व तेल कम्पनियों को लूट की खुली छूट दे रखी है तभी पिछ्ले एक पखवाड़े से पेट्रोल व डीजल के दाम द्रोपदी के चीर की भांति बढते ही जा रहें है और थमने का नाम नहीं ले रहें है ।

कभी पढा व सुना था कि इस देश पर कई लोगों ने आक्रमण किया , राज किया और लूट कर चले गये । लेकिन जब आजाद भारत की जनता को अपने ही देश के व्यापारी व तेल कम्पनियां लूटने लग जाये और हमारे नेता , जनप्रतिनिधि मौन रहे तो स्पष्ट होता है कि लूट का तांडव मचाने की इन्हें खुली छूट मिली हुई है । क्या हमारे जनप्रतिनिधियों  , नेताओं व उनकी संतानों के पास वाहन नहीं है वे पेट्रोल व डीजल नहीं भराते है । सरकार ही जब लूट में सरीक हो तो रोना किसके सामने रोये ।

कमर तोड मंहगाई के कारण आम जनता का बजट डगमगा गया है । अगर इसी तरह से मंहगाई बढती रही तो देश में भुखमरी फैल जायेगी । कोरोना की महामारी के चलतें अनेक लोगों के रोजगार छिन गयें । उनके परिवार मे रोजी रोटी के लाले पड गयें  । गरीब मांग कर खा लेता है । अमीरों पर मंहगाई का कोई असर नहीं पडता है तभी तो वो मौन रहते है और असर पडता है तो सीधा मध्यम वर्गीय परिवार पर । लाॅक डाउन के खुलने के बाद अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमते बढने के बहाने तेल कम्पनियां रोज पेट्रोल व डीजल के दाम बढा रहीं है लेकिन इन पर अंकुश लगाने वाले मौन बने हुए है । उनके मुंह सीले हुए है शायद कहीं न कहीं सिस्टम में मोटी रकम वसूली जा रही है ।

लाॅक डाउन के चलते वाहन करीबन दो माह तक नहीं चले । एक जून से अनलाॅक भी करीब  - करीब लाॅक डाउन की तरह ही चल रहा है और अभी भी अनेक बसे , वाहन , सीटी बसें, टेम्पो व निजी वाहन बंद पडे हैं । ट्रेने भी कम चल रही हैं और निजी वाहन भी कम चल रहें है । जब तेल की खपत ही कम हो रही हैं तो फिर यह मंहगाई की मार क्यों  ?  क्या व्यापारी व तेल कम्पनियां अपना घाटा आम जनता से वसूलने पर तुले है तो यह उनकी भूल हैं । जनता-जनार्दन के घरों में कोई नोटों का झाड नहीं उगा हुआ है जो नोटों की गड्डियो को तोडा व  व्यापारियों व तेल कम्पनियों के हवाले कर दिया ।

अगर मंहगाई ऐसे ही बढते रही तो देश में अपराध बढेंगे ।  भुखमरी बढेगी । जनता-जनार्दन पुराने ढर्रे पर आ जायेगी और पुनः साइकिलों पर चलेगे , वाहनों के स्थान पर ऊंट गाडे बैलगाड़ी  ,  तांगो में सफर करेंगे । किसी जमाने में इनमें फल सब्जियां  , खरबूजे , मतीरे व काचरे लाद कर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता था लेकिन अब आने वाले समय में इंसान सफर करें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं । 

आज हमारी सरकार व विपक्ष आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहें है लेकिन मंहगाई के मुद्दे पर सभी मौन हैं । चूंकि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है । समस्या तो समाधान चाहती है न कि दलगत राजनीति  । सरकार बढती मंहगाई पर अंकुश लगाये और बढी दरें वापस लेकर जनता-जनार्दन को राहत दिलाये । जनता-जनार्दन लूट के तांडव को बर्दाश्त नहीं करेगी और जिस दिन जन आक्रोश फूट गया उस दिन तोडफोड व आगजनी होगी और होती आयी है । वह स्थिति न आये इसलिए समय रहते सरकार बढीं दरें वापस लें और शांति पूर्वक तरीके से मंहगाई पर रोक लगाये  ।

*पालरोड जोधपुर राजस्थान 






 




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