Subscribe Us

लॉकडाउन में संग-जंग



*सुरेन्द्र 'सर्किट'
द्वितीय लॉकडाउन की घोषणा होते ही शहर के कुछ साहित्यकारों ने टाइम पास करने एवं लाइव सेशन से जान बचाने की गरज से एक नया व्हाट्सएप समूह बनाने का निर्णय किया। जिसमें एक मुख्य एडमिन और संतुलन बनाए रखने के लिए दो उप मुख्य एडमिन बनाए गए। सदस्यों के बीच होने वाले वार्तालाप या जंगी प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए समूह का नाम रखा गया 'संग जंग' ।

पूछने पर मुख्य एडमिन ने परिपक्व नेता की तरह बताया सब संग रह कर लड़ेंगे और लड़ने के बाद भी संग रहेंगे।  हां एक बात और डैमेज कंट्रोल के लिए भी एक पद सचेतक का रखा गया, ताकि ग्रुप में से बागड़ कूद कर कोई लेफ्ट राइट न हो जाए। ग्रुप का स्तर ऊंचा करने के लिए  अन्य साहित्यिक समूहों से भी राजनीतिक  दलों की तरह तोड़ फोड़ कर वहां से सदस्य लाए जाए फिर चाहे उन्हें सह एडमिन जैसा कोई पद भी क्यों न देना पड़े। सभी सदस्यों के तख़ल्लुस उनके नामानुरूप मजेदार थे।

श्री नमन जी गजल कार गीतकार एवं मुख्य एडमिन  होकर सदैव नमन मुद्रा में रहते है। दूसरे हैं मक्खन जी जो हास्य कवि के साथ शौकिया ग़ज़लकार भी हैं। समूह में जंग होने पर घायलों को मरहम लगाने का कार्य भी बखूबी करते हैं। साथ ही डैमेज कंट्रोल का भी कार्य देखते हैं। तीसरे है सुरीला जी जो एक अच्छे गीतकार ग़ज़ल कार एवं मुक्तकों के बादशाह हैं, ज्ञान गंगा बहाने के विशेषज्ञ है हालांकि ज्ञान आचमन की किसी को आवश्यकता नही होती है।

श्रीशांतम जी सुखमय मुस्कान बिखेरते हुए सबके प्रिय है। श्री तलवार जी यथानाम तथागुण है। विरोध इनका मुख्य हथियार है,जो कलम रूप में चौबीस घंटे उनके साथ रहता है, ना जाने कब प्रहार करने की नौबत आ जाए। छठे हैं श्री रुस्तम जी नाम की तरह भारी भरकम नही है, लेकिन काम भारी है ,तगड़ी पकड़ है, प्रदेश से लेकर राजधानी तक मोहल्ले से लेकर मुंबई  तक। सातवे है श्रीप्यासा जी नाम से ही जाहिर है प्यासे है,प्यासे है तो  प्याला भी होगा प्याले में भी कुछ तो (हाला)होगा प्यासा जी कई विधा के विशेषज्ञ है, सर्वाधिक लोकप्रिय है प्यासाजी के हूनर के तो कई बड़े-बड़े कायल हैं। कई घायल है घायलों में कवयत्रियां अधिक है। श्री चतुर जी जो कि किसी विधा में पारंगत नहीं है, लेकिन दखल सब में रखते हैं। समाजसेवी व कुशल सलाहकार है, कवि मित्र मंडली के जलपान के स्थाई प्रायोजक है। इसीलिए ज्यादा सम्मान के हकदार है।

श्रीएकांत जी मुलतः व्यंग्यकार है समय-समय पर मुंह खोलते हैं, नापतोल के बोलते हैं लेकिन ढंग का बोलते हैं, सबके प्रिय हैं। एक और विशेष सदस्य हैं श्री हंटर जी (शिकारी नहीं मारने वाला)आपका नाम अत्यंत मशहूर है व्यंग्य बादशाह के नाम से लोकप्रिय हैं। इनकी हर पंक्ति में,पंक्ति क्या हर शब्द से व्यंग्य कूदकर बाहर आता है और हंटर बरसाता है इनके हंटर से शहर के कई बड़े छोटे नेता, साहित्यकार,लेखक, व्यंग्यकार व संपादक आहत है। लेकिन फिर भी जबरदस्त डिमांड में रहते हैं हर महफिल की शान होते है और अंतिम श्री हंसमुख जी यह सब रस के कलाकार है कविता भी करते हैं, अभिनय भी करते हैं और वह अपनी वेशभूषा से सारे शहर में लोकप्रिय हैं। वस्त्र ही इनकी  जान हैं पहचान है मुस्कुराता चेहरा इनका आइडेंटी कार्ड है।
इन मुख्य नामों के अलावा भी कुछ नाम और हैं श्री सुस्त जी,चमन जी,भयंकरजी,उजाला जी,कांटा जी आदि समूह के उद्घाटक बल्लेबाज के रूप में खुद मक्खन जी अपनी नर्म मुलायम  पंक्तियां लेकर आए-गोरी बाट निहारे पिया की /पाती भी न आई पिया की/मेघा रे जा के दी जो संदेश /सजनी तोहे बुलाए तेरे देश ।

पंक्तियां पढ़ते ही प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई ,कुछ बानगी देख ले।

नमन जी - नायक के विछोह को महसूस करती नायिका के भाव को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है, मेघ संदेशवाहक की भूमिका का प्रयोग अद्भुत है बहुत-बहुत बधाई।  तलवार जी- गोरी का पति परदेस गया है लेकिन बेचारी मेघा को वहॉ भेजना कहां तक उचित है, कल को कुछ ऊंच-नीच हो गई तो माफ करना भाई साहब मैं मेघा को भेजने का घोर विरोध करता हूं। कुछ सम्मानित सदस्यों ने नमन जी की प्रतिक्रिया का समर्थन कर अपनी कर्तव्य की इतिश्री कर ली । सुरीला जी ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की और लिखा हर पंक्ति में प्रेयसी की पीड़ा एवं व्याकुलता दिख रही है नायिका की भावना प्रेम की पराकाष्ठा है बहुत ही न्याय किया है पंक्तियों में बधाई  साथ मे -ताली बजाते हुए हाथ । प्यासा जी ने भी अपने ढंग से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और लिखा । आजाद पंछी आजादी से गगन में उड़ रहा होगा ,परदेस में संग सखा के जीवन जी रहा होगा ,विरह की अग्नि में वह भी जल रहा होगा पूरे दम से कहता हूं कि इस गम में वह भी पी रहा होगा ,रुस्तम जी ने भी अपनी बात कही  सुन गोरी तरीका एक आसान बताता हूं- तेरी समस्या का सही निदान बताता हूं /साजन को तलाक का नोटिस भिजवा दो /दो दिन में घर आएगा दावे से बताता हूं। 
हंटर जी की अपनी शैली है-पहली बात साजन को परदेस जाने ही क्यों दिया आज तक जो जो साजन परदेस जाता है वह लौट के कभी नही आता है जो आता है  साथ में किसी को लेकर आता है अब मेघा क्या करें वह तो खुद पवन के चक्कर में हैं इसलिए संदेश पहुंचने की कोई गारंटी नहीं है कुछ अन्य उपाय करो या साजन को भूल जाओ और नए की खोज में जुट जाओ। अंत में हंसमुख जी जो कि सदा हंसते हैं हंसने का संदेश देते हैं उन्होंने लिखा - जो जहां है उसे वही रहने दो /जो कर रहा है उसे वही करने दो /जिंदगी हंसने और हंसाने के लिए है /तुम यहां मुस्कुराओ उसे वहां मुस्कुराने दो ।
इन सबके अलावा लगातार प्रतिक्रियाएं आती जा रही थी क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा था रात के 11:58 हो चुके थे एडमिन तुरंत  मामला संज्ञान में लिया और गुड नाईट शुभ रात्रि शब्बा खैर कहकर ग्रुप का लॉक डाउन कर दिया।
*सुरेन्द्र 'सर्किट',उज्जैन (म.प्र.)

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ