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लॉक डाउन के गीत







*विनय मोहन खारवन

हमारा भारतवर्ष त्योहारों का देश है ।इसमें  वर्ष में न जाने कितने देसी ,प्रादेशिक त्योहर भारत के किसी न किसी प्रदेश में मनाते ही रहते हैं। लोहड़ी की आग ठंडी होते ही बसंत पंचमी की पतंगों की उड़ान शुरू हो जाती है।इन पतंगों से  हमारे बॉलीवुड फिल्मों का गहरा संबंध रहा है।' चली चली रे पतंग मेरी चली रे चली बादलों के पार.....।' फिर पतंगे कटते  ही यानी बसंत पंचमी जाते ही होली की पिचकारी अपने रंगों से रंगना  शुरु कर देती हैं। और होली का तो आपको पता ही है इसके बिना हमारी फिल्मों का इतिहास अधूरा है। एक फिल्म का नाम ही 'होली आई रे 'था। शोले में होली के गीत के बाद ही अमिताभ जी गब्बर की आंखों में रंग डाल कर उसे भगाते हैं।कहने का मतलब यह कि भारतवर्ष में हर त्यौहार के गाने हैं और तो और शादी के भी गाने हैं ।वैसे तो शादी के गीत ताउम्र ही पति पत्नी के बीच में बजते रहते हैं ।फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें आवाज़ सिर्फ जनाना होती है ,मर्दाना आवाज कहीं खो जाती है। 

अब क्योंकि पूरे विश्व में लॉक डाउन है। भारत में भी लोग घरों में रहकर बिल्कुल परेशान नहीं हो रहे हैं। भारतीय महिलाएं इस लॉक डाउन को भी एक अंतरराष्ट्रीय त्यौहार की तरह सेलिब्रेट कर रही हैं।और इसमें उन्हें घरेलू पतियों का भरपूर योगदान मिल रहा है।

अभी कल ही की तो बात है ।श्रीमती जी बोली,'अजी सुनते हो पड़ोस वाले बजाज साहब रोज नई-नई डिशेज बनाकर अपनी बीवी को खिला रहे हैं ।कभी आप भी मेरे लिए कुछ बनाओ ना।' श्रीमती जी को यह कहां से खबर मिली कि बजाज ने डिशेज बनाई हैं। शायद दिव्य दृष्टि से वह मेरे मन की बात सुन भाँप गई ।बोली,"मिसेज बजाज ने फेसबुक पर डिशेस डाल रखी थी। " एक तो सत्यानाश हो इन भड़काऊ पोस्ट को डालने वालों का। झूठ मुठ की पोस्ट डाल कर पड़ोसियों की बीवी को भड़काने के आरोप में इन आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान संविधान में होना चाहिए। खैर बात  तो गीतों की हो रही थी ।तो जेहन में लोक् डाउन के कई गीत बज रहे हैं।

फिल्म रोटी कपड़ा और मकान का एक गीत था ,'मैं ना भूलूंगा, मैं ना भूलूंगी,इन रस्मो को इन कसमो को,इन रिश्ते नातों को, मैं ना भूलूंगा।" वास्तव में लॉक डाउन के दौरान पति घर का काम कर करके, झाड़ू पोंछे लगा लगा कर,बर्तन मांज मांजकर परेशान हो चुका है। वह कहना चाह रहा है कि लॉक डाउन खुलने के बाद भी मैं यह सब नहीं भूल पाऊंगा। यह मेरे लिए एक भयंकर डरावने सपने जैसा था ।पत्नी भी भरे मन से कहती है कि वह भी नहीं भूलेगी ,कैसे इतने दिन, इतनी जल्दी बीत गए। वह पति से कहना चाह रही है कि तूने जो घरेलू कार्य निष्कपट, निष्काम भाव से किए ,वह भूलना मेरे लिए असंभव है। इस गीत के माध्यम से पति-पत्नी का गहन प्रेम झलकता है। जो अत्यंत भावुक कर देने वाला है।

फिल्म दाग का एक गीत था ,"ये क्या हुआ ,कैसे हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ ,ओ छोड़ो ये न सोचो..…।"इसमें भी पति पत्नी का प्यार झलकता है। पत्नी ने गुस्से में पति के सिर पर टीवी का रिमोट मार दिया था। पति के माथे पर एक मोटा सा गूमड़  पड़ साथियों ,लॉक डाउन के अनगिनत गीत है। घर पर आप भी गीतों के माध्यम से लॉक डाउन को सेलिब्रेट करें ।लॉक डाउन  के गीत गाने का अनमोल अवसर प्रभु ने प्रदान किया है ।इसे हाथ से ना जाने दें ।घर पर रहे ,सुरक्षित रहें और गाते रहें,' ये घर है स्वर्ग से सुंदर....।'

*जगाधरी, हरियाणा




 


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