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लाकडाउन में बदलती जीवन शैली



जीवन में बदलाव ही सृष्टि का नियम है।परंतु इस तरह से संपूर्ण बदलाव की उपेक्षा , शायद ही किसी ने सोचा होगा।आज सारा विश्व करोना की महामारी से जूझ रहा है ।इन सबका जिम्मेदार आखिर है कौन ?ये सोचा है कभी ।जब पाप का घड़ा भर जाता है तो प्रकृति स्वयं ही अपना संतुलन बनाने का उपाय सोच लेती है ।प्रकृति पर मानव का अत्याचार दिन पे दिन बढ़ता जा रहा था ।शायद उसी संतुलन के लिए ही ये बिमारी अवतरित हुई है ।मानव स्वयं इतना व्यस्त था कि उसके पास अपने और अपनों के लिए समय ही नही था ।उसकी लालसा दिन पे दिन बढ़ती जा रही थी जिसका कोई अंत ही नही था । चोरी, चकारी,हत्या, बलात्कार जैसे जगन्य अपराध बढ़ते ही जा रहे थे । माना इस बीमारी में बहुत कुछ अस्त-व्यस्त हो गया है ।बहुत से लोगों के रोजगार छिन गए ,देश की अर्थव्यवस्था तक डगमगा गई है ।परंतु इस लाकडाउन में सबसे अच्छी बात हुई है कि प्रकृति का वातावरण स्वच्छ हो गया है ।नदियों का जल निर्मल होकर बह रहा है । सब कुछ शांत हो गया है ।मानव सीमित साधनों में रहना सीख रहा है ।अपने परिवार के साथ शांतिं से समय बिता रहा है ।अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर योग,ध्यान अपनी संस्कृति और सभ्यता के निकट आ गया है ।ये ही लाकडाउन में सबसे बड़ा बदलाव है हम सबके लिए कि जीवन शैली बिल्कुल बदल गई है । ईश्वर से प्रार्थना है कि इस बिमारी से जल्द मुक्ति पाएँ हम ।पर एक संकल्प लें कि प्रकृति को इतना प्रत्याडित न करें कि उसका खामियाजा भुगतना पडे़ ।
*रश्मि वत्स,मेरठ (उत्तर प्रदेश)


 


इस विशेष कॉलम पर और विचार पढ़ने के लिए देखे- लॉकडाउन से सीख 


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