*प्रेम पथिक
गैर के हाथों का खिलौना होता है
आदमी कितना वो बौना होता है
थक कर चूर जब मजदूर होता है
धरती ही उसका बिछौना होता है
फल नही मिलता श्रम किए बगैर
दही को भी खूब बिलौना होता है
यूं ही नही बनता है हार फूलों का
सूई धागा दिल में पिरोना होता है
खुशियां सदैव सबको बांटता रहा
उसको अकेले ही तो रोना होता है
हथिनी को धोखे से खिलाया बम
ये आदमी कितना घिनौना होता है
डुबकियाँ लगाने से कम नही होगा
गुनाहों का बोझ खुद ढोना होता है
सुख हो या दुःख हो चिंता न करो
होना तो वही है जो होना होता है
सयाने लोगों की ये सीख है पथिक
पाने के लिए तो कुछ खोना होता है
*उज्जैन(उज्जैन)
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