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दुनिया



*महेंद्र कुमार वर्मा

दुनिया को इतिहास बनाए बैठे हैं ,

फिर भी उससे आस लगाए बैठे हैं।

 

दुनिया एक बखेड़ा है झंझट वाला ,

फिर भी उसको पास बिठाए बैठे हैं।

 

दुनिया की तासीर बदलने वालों को ,

दुनिया वाले खास बनाए बैठे हैं।

 

दुनिया की हर रोज बदलती तस्वीरें ,

उसे देख उल्लास जगाए बैठे हैं।

 

मतलब से चलती है ये दुनिया सारी ,

रिश्तों का उपहास बनाए  बैठे हो।

 

*वाघोली ,पुणे [महाराष्ट्र]

 


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