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डायरी एक प्यारा दोस्त



*भावना ठाकर
कभी-कभी जुबाँ लड़खड़ा जाती है, नैंनो के पैमाने छलक जाते है तब मौन के शोर को दफ़न कर दो डायरी की कब्र में एहसासों का सुकून सभर बिस्तर होते है डायरी के पन्नें "आमतौर पर हमारी आदतों में एक आदत डायरी लिखने की भी होनी चाहिए" निजी जीवन की हर घटनाओं को डायरी में लिखकर हर लम्हों को ताउम्र जीवंत रख सकते है। साथ-साथ हर रोज़ लिखने की आदत आपको एक उत्कृष्ट लेखक बनने के लिए प्रोत्साहित भी करती है, जब मन को कुछ अच्छा ना लगता हो तब एक कप चाय के साथ अपनी डायरी को खोलकर बैठ जाओ, कुछ एहसास लिखो कुछ पहले का लिखा पढ़ो, डायरी के पन्नें बहुत ही करीबी और अपने स्वजन से लगेंगे, हमारे मन में दबे हुए कितने एहसासों का कारवां लिए एक-एक पन्ना दोस्त और हमसफ़र सा लगता है तनाव के पलों में साथी का फ़र्ज़ बजाती है डायरी। 
ज़िंदगी की आपाधापी में बहुत बार एसा होता है किसी परिस्थिति में हम अपने भावों को व्यक्त नहीं कर पाते दर्द, गम, गुस्सा, अहं कई बार हम अपनों को आहत करना नहीं चाहते या तो खुद को दु:खी नहीं करना चाहते तब ये सारे एहसास अंदर ही अंदर पी जाते है और अपनी डायरी के पन्नों पर उड़ेल देते है, लिख लेने के बाद मन और दिल चिड़ीया के पंख सा हल्का महसूस करते है।कुछ याद रखना हो कोई हिसाब लिखना हो या कोई गीत, गज़ल या शायरी मन में आए बस कलम को परवाज़ दे दो कल्पना शक्ति को आगाज़ देकर निकल जाओ एहसासों के सफ़र पर सुकून मिलेगा।
डायरी लिखना अच्छी आदत है सालों बाद भी टंकण की हुई हर बात सबूत के तौर पर मिल जाती है, तो कभी-कभी ये डायरी तड़पाती भी है मेहबूब के साथ बिताए हसीन लम्हों को हम शब्दों को उड़ान देकर लिख तो लेते है पर कभी बिछड़ने के बाद वही शब्द नैंनों को नम भी कर जाते है।अतीत की परछाई सी डायरी हमारे व्यक्तित्व का आईना होती है, शब्दों के ज़रिए हम अपने मन में उठते हर भाव को सहज लेते है पन्नों के सिने पर अपनी हंसी, खुशी, आँसू, दर्द डायरी मौन रहकर एक बेहतरीन श्रोता सी हमें सुनती है ओर हमारे हर एहसास को सहलाती है।
सच में जब कभी मन उलझन में हो हमें  कुछ कहना तो होता है पर ज़ुबाँ विवश होती है तब डायरी एक एसा ज़रिया है कि आप शब्दों के ज़रिए चिल्ला भी लो कोई नहीं सुनेगा और आप के मन को तसल्ली भी मिल जाएगी। बेशुमार भावनाओं को समेटे डायरी हमारा साथ देती है एक प्यारे दोस्त कि तरह, ज़िंदगी के अनुभवों को पन्नों पर ढ़ालना सिख लो, एसा महसूस होगा मानों किसी अपने के कँधे पर सर रखकर सारे एहसास साझा कर लिए हो, हमारे भीतरी स्पंदनों की हमराज़ होती है डायरी ।
*बेंगुलूरु


 


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