*डा केवलकृष्ण पाठक
कर्म ही है देश भक्ति,अपना कार्य पूरा कर
सत्य का ले आसरा, चल सत्पथ पर हो निडर
सेवा ही हो भावना ,जो दीं पीड़ित जन मिले
सत्कर्म- व्यवहार से ,दुष्कार्य बाधा दूर कर
देश की संपत्ति को ,हानि न पहुंचाए कोई
भावना हो देश भक्ति,सबके मन में पैदा कर
निष्ठा पूर्वक कार्य मेरे ,देश का हर जन करे
स्वर्ग ही फिर उतर ,आएगा हमारी धरती पर
हो न कोई जाति बंधन,सब में भाईचारा हो।
देश में अलगाव का ,वातावरण न पैदा कर
सारे ही संसार में है ,मान भारत देश का
उस प्रतिष्ठा को बढ़ा,भारत का झंडा ऊँचा कर
*जींद( हरियाणा)
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