*अनुज पांडेय
बहुत भला होगा।
सरितरूपी जीवन में
आशाएँ रखकर, बेहिचक
थोड़ा- सा तुम
उतार- चढ़ाव जब झेलो,
बहुत भला होगा।
कभी हार,कभी जीत
जीवन रूपी खेल में
ऊर्जा के साथ
मग्न होकर जब खेलो,
बहुत भला होगा।
मंज़िल पाने के लिए
राहों में बढ़ते हुए
सहचर समझकर
विपद को संग में ले लो,
बहुत भला होगा।
*गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ