*प्रदीप ध्रुव भोपाली
अजी़ब सा ये गुमान क्यों है।
पता करो ये उफान क्यों है।
सितम कभी जब नहीं हुआ फिर,
सितमगरी का निशान क्यों है।
फरेबियों की हुई अगर जद,
मगर बचा ये जहान क्यों है।
क़रीब में क़ातिलों का डेरा,
मगर वो सूना मशान क्यों है।
अगर सही रुख निज़ामतों का,
वो दरबदर फिर किसान क्यों है।
जो रहजनी में शुमार अक्सर,
उसे कहें ध्रुव महान क्यों है।
*भोपाल मध्यप्रदेश
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