*प्रीति शर्मा 'असीम'
रोटी ...जिंदगी को ,
जिंदगी देती है।
सच कहे,
तो उमरभर की
जद्दोजहद
इसी से जुड़ी है।
सारी समस्याएं ...
इस से बहुत बड़ी है।
भागते है.....?
दिन-रात
दो वक्त की,
रोटी कमाने के लिए।
#छोड़ जाते हैं जिनको मिलती है।
रोटी ......काम पर,जाने के लिए।
फिर .......!
क्यों.........?
भागते रहते है।
उस रोटी के लिए।
हमारे चेहरे की चमक,
हमारी आत्मा की तृप्ति है।
जीवन की अमूल्य निधि है।
इसकी कीमत पहचानें ।
यह ईश्वर की अमूल्य कृति है।
देखता हूँ...... जब दूसरी तरफ।
जो तरसते हैं एक रोटी को भी ,
एक रोटी के लिए ,
मौत पा जाते हैं ।
सम्मान करें रोटी का ।
जिन्हें मिलती है ।
और जिन्हें नहीं मिलती ।
इसी रोटी के लिए ,
इतिहास बदल जाते हैं।
*प्रीति शर्मा 'असीम' नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
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