Subscribe Us

मजदूर मजबूर है



*शिव कुमार दुबे


मजदूर मजबूर है
बहाकर पसीना
करता है श्रम
बनाता है महल
सवा
सवारता है खेत
और खलियान
बांधता है क्यारियां
चलाता है हल
जीवन की नियति है श्रम
श्रममेव जयते है जीवन
फिर भी अभाव में
रहता है मजदूर
भागता है दौड़ता है
हफ़ता है परेशानी ही
परेशानी में  गुजार देता
जीवन न खुशियो से सरोकार
केवल गम ही है उसके पास
हमको देना होगा
उसके हिस्से की खुसी
उसके हिस्से का प्यार
मर जाता है मजदुर
बगैर कोई समाचार के
न कोई सुर्खी न कोई
प्रचार बस करता है
श्रम मजदुर मजबूर


*शिव कुमार दुबे,इंदौर (म.प्र.)


 


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ