*प्रेम बजाज
मैंने जीवन सारा बिताया तुझे प्यार करते - करते
बस बन जाऊं तेरी प्यारी तुझे प्यार करते -करते।
ग़म नहीं इस बात का कि तुमने की बेवफ़ाई है
मौत की चौखट पे रखेंगे सर तेरा इन्तज़ार करते-करते ।
वल्लाह कभी तो लिया करो ख़ैर -ख़बर हमारी
थम ना जाएं सांसें हमारी , तुम्हारा इन्तजार करते-करते ।
अभी भी खिला है फूल आशा का उर आंगन की बगिया में
बांधों आस की डोर , खिला दो हृदय कमल प्यार करते-करते ।
ढाई आखर *प्रेम* में छुपा रहता अर्थ बहुत भारी है
कह दो लबों से अपने जी लेंगे हम इकरार करते - करते ।
*प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )
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