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मां ममतामई मां



*डॉ. रश्मि शर्मा


मां ममतामई मां,
जिसके आंचल में

अमृत और आंखों में आंसू
हां वही तो है ममतामई मां|
खुद भूखी रहकर भी

सबका पोषण करती मां|
है यही वह शब्द

जिसे सुनने को तरसती हर मां
मां ममतामई मां|
जब कहता है नन्हा

पहली बार मां

सर्वस्व न्योछावर करती मां|
मिलता है

आंचल कुछ समय के लिए
पर उम्र भर

बरगद सी छांव देती मां|
लगती है चोट हमें ,

पर दर्द में तड़पती है मां|
मां ममता मई मां
हमारी गलतियों पर

अपने प्यार का पर्दा डाल

अपने अनुभव से सींच

हमें सफलता की राह दिखाती मां|
हमारी खुशियों की खातिर

अपने अरमान उम्र भर दबाती मां|
हमारे सपनों को

अपनी उम्मीदों के

पंख देकर हमें आसमां की

सैर कराती मां|
मां ममतामई मां
जब कभी हम पर होती हैै

नाराज फिर दिल से रोती है

जार जार मां|
अविरल स्नेह और अनूठी

सहनशक्ति से परिपूर्ण होती है मां|
तभी तो है वह ममतामई मां
हे करुणा का सागर

और दया की प्रतिमूर्ति मां|
बिन तेरे इस दुनिया की

हर रोशनी है फीकी मां

क्योंकि जीवन रूपी इस दीये की

बाती तो तू ही है मां|
सदा रोशन किया

जीवन का पथ और

सिखाया हमें जीवन का कौशल|
तू ही तो है

ममतामई मां ममतामई मां

*डॉ. रश्मि शर्मा,उज्जैन

 


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