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माँ है ममता की निर्झरनी


*संजय श्रीवास्तव 'प्रज्ञा'


माँ की ममता में बसी , अजब निराली बात !
माँ से ही होती सदा , रिश्तों की शुरूआत !!

माँ होती है सबसे प्यारी ! दुनियाँ में सबसे ही न्यारी !!
माँ ही चलना है सिखलाती ! माँ जीवन का पथ दिखलाती !!
माँ प्रसूता है माँ है जननी ! माँ है ममता की निर्झरनी !!
माँ रोती जब बच्चे रोते ! माँ खुश है जब बच्चे हंसते !!
माँ पीढ़ा से भर जाती है ! चोट जो सुत को लग जाती है !!
माँ आँचल की छाया देती ! दुख पीढ़ा सारे हर लेती !!
माँ की लगती प्यारी सूरत ! प्रेम दया करूणा की मूरत !!
माँ में सारे धर्म समाते ! माँ से ही सब रिश्ते नाते !!
माँ ममता का अमृत देती ! खुशियों से दामन भर देती !!
माँ ही देती हमें सहारा ! जीवन में करती उजियारा !!
माँ सम्मान दिलाती आदर ! अपनी खुशियाँ कर न्यौछावर !!
माँ है तो सब लगता नीका ! माँ के बिन हर स्वाद है फीका !!
माँ से ही सब लगते अपने ! माँ के बिन सब सूने सपने !!
माँ रमजान है माँ दीवाली ! माँ के बिन घर खाली खाली !!
माँ का दिल कोई जान न पाया ! सागर भी उससे शरमाया !!
माँ के हम सब हैं आभारी ! माँ का कर्ज है हम पर भारी !!
माँ की अद्भुत अजब कहानी ! माँ का जग में कोई न सानी !!
माँ तो सचमुच मन भावन है ! माँ तो गंगा सम पावन है !!
माँ की महिमा बड़ी महान है ! माँ ही गीता और कुरान है !!
माँ से ही दुनियाँ होती है ! माँ तो केवल माँ होती है !!
माँ को खुश जो रख पायेगा ! ईश अनुग्रह वह पायेगा !!
माँ का जो अपमान करेगा ! ईश्वर कभी न माफ करेगा !!

ईश्वर के बस में नहीं , घर घर पहुंच वो पाय !
इसीलिये भगवान ने , माँ को दिया बनाय !!

*संजय श्रीवास्तव 'प्रज्ञा' गंजबासौदा


 


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