*डॉ. नलिन
गतिविधियाँ सब रुक गईं , ठहरा है संसार I
पुनः प्रकृति करने लगी , है अपना श्रृंगार II
है अपना श्रृंगार , वायु-जल पाकर सुंदर I
मनुज हुआ है लुब्ध , खुशी है मन के अन्दर I
कहे नलिन हरिदास , नष्ट कीं हमने निधियाँ I
आगे से दें छोड़ , व्यर्थ की जो गतिविधियाँ II
........
फैली भारत-सभ्यता , देखो चारों ओर I
कोरोना से विश्व में , बहुत मचा है शोर I
बहुत मचा है शोर , नमस्ते को अपनाया I
मानें सारे लोग , स्वस्थ रखनी है काया I
कहे नलिन हरिदास , रहे क्यों दुनियाँ मैली I
लो भारत की शान , जगतभर में है फैली II
*डॉ. नलिन, कोटा राजस्थान
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