*उपेन्द्र द्विवेदी
किसका जीवन
किसलय उपवन
सुगंध सुमन से
सराबोर
पल पल छल
निरा घिरा
जीवन दुर्गम
कटु कठोर
कौन हृदय
आनन्दमग्न ?
चिंताओं से युक्त नहीं
जीवन की जलधारा
करती किसे विक्षिप्त नहीं
झंझावातों से
घिरा मार्ग
हर पगडंडी
कण्टकाकीर्ण्ण
भीष्म पड़े
शर शैय्या पर
थे अजेय
अद्भुत प्रवीण
मान मनुज
बस काल प्रबल
सम्मुख इसके
ढहते बल
जीवन में
आनंद खोज
खिलते मिटते
नित नव सरोज
कौन पूर्ण
संपूर्ण रहा
किसको
जीवन भर खोज रहा
बस आज
तेरा जो जी आया
कल केवल भ्रम
दुर्मति छाया।
*ताला, जिला- सतना, म.प्र.
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