*धर्मेन्द्र बंम
सैनिक -
मन को मोड़ा तन को जोड़ा
सुरक्षा में अपने घर को छोड़ा
निभाया है उसने अपना फर्ज
चुकाना है हमको वो ही कर्ज
डाॅक्टर -
ऊॅच नीच को भी पस्त किया
जो आया उसे स्वस्थ किया
दूर किया है उसने हर मर्ज
चुकाना है हमको वो ही कर्ज
सफाई कर्मी -
चारों ओर छाया है अंधकार
नजरबंद है आज हर परिवार
रखें स्वच्छ नगर भूलकर दर्द
चुकाना है हमको वो ही कर्ज
मंगल भावना -
विपदा हो अब दूर हमारी
खुशबू से महके हर क्यारी
आराध्य से हम करते हैं अर्ज
चुकाना है हमको सारे कर्ज
*धर्मेन्द्र बंम नागदा जंक्शन
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