Subscribe Us

कलियुग की करामात



*रश्मि वत्स

पैर पसार रही बुराई
अच्छाई कोसो दूर है !
कलियुग की करामात है सारी
कलंकित हुआ संसार है !

मति हुई है मानव की भष्ट
चारों ओर चित्कार मचा !
पल-पल होता अत्याचार यहाँ।
पापों की मिले न कोई सजा !

कौन है अपना ,कौन पराया
रिश्तें नाते सब बेमानी !
भाई-भाई का हुआ है दुश्मन
कलियुग की सब है महरबानी !

सभ्यता अपनी सब बिसराई
आधुनिकता का पहना चोला है!
मय का प्याला ले हाथों में
लाज,शर्म अपनी गंवाई !

बहन,बेटियों हो रहा अपमान
गली,गली ,चौराहों पर !
देवी के रूपों में हैं पूजें
उन्हीं का तार-तार किया सम्मान !

लोभ,द्वेश,ईष्या धारण कर
अहंकार का मद चढ़ा है !
कलियुग की करामात है सारी
मानव पे अज्ञानता का पर्दा पड़ा है !
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ