*रश्मि वत्स
पैर पसार रही बुराई
अच्छाई कोसो दूर है !
कलियुग की करामात है सारी
कलंकित हुआ संसार है !
मति हुई है मानव की भष्ट
चारों ओर चित्कार मचा !
पल-पल होता अत्याचार यहाँ।
पापों की मिले न कोई सजा !
कौन है अपना ,कौन पराया
रिश्तें नाते सब बेमानी !
भाई-भाई का हुआ है दुश्मन
कलियुग की सब है महरबानी !
सभ्यता अपनी सब बिसराई
आधुनिकता का पहना चोला है!
मय का प्याला ले हाथों में
लाज,शर्म अपनी गंवाई !
बहन,बेटियों हो रहा अपमान
गली,गली ,चौराहों पर !
देवी के रूपों में हैं पूजें
उन्हीं का तार-तार किया सम्मान !
लोभ,द्वेश,ईष्या धारण कर
अहंकार का मद चढ़ा है !
कलियुग की करामात है सारी
मानव पे अज्ञानता का पर्दा पड़ा है !
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)
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