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हम कोशिश करेंगे और फिर से आजाद पंछी बनकर उड़ेंगे



सबसे पहले तो मै हमारे प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होने सही समय पर पूरे देश में 100% lockdown का फैसला लिया और हमें इस भारी संकट से घर में रहकर लड़ सकें। इस समय पूरा विश्व इस महामारी से झूझ रहा है। मै घर में रहकर देश का साथ दे रहा हूँ। अभी तक lockdown को लगभग 70 दिन हो चुके हैं। मैंने प्रधानमंत्री ने कोरोना योद्धाओ को सम्मानित करने के लिए थाल बजाकर और दीपक जलाकर उनका साथ दिया। लॉकडाउन मेरे और मेरी कलाकृति के लिए बहुत ही कारगर रहा। इससे मैंने लगभग 37-38 कलाकृतियां बनाई है। मैंने इस लॉकडाउन में मेरी कलाकृतियां सुधार ली और पिछली बार से बहुत अच्छी बनाने लगा हूँ। मेरी पढ़ाई पर भी कोई असर नहीं पढ़ा है। हमारा स्कूल सारे प्रयास कर रहा है जिससे हमें उतनी ही शिक्षा मिले जितनी स्कूल में मिल रही थी। हमारी सारी समस्याओ को समय पर पूरा करते हैं। इस लॉकडाउन में मैंने मेरी छोटी बहन को भी कलाकृति सिखाई। मैंने मेरी मम्मी के कामों में सहयोग किया।  लॉकडाउन में छूट के नियमों की मैंने पूरी तरह से पालना की है। सामाजिक दूरी और मास्क के नियमों की पालना की है। हम सब भारत देशवासियों को इस संकट से बाहर निकलकर दिखाएंगे।  और विशेष तौर पे अपने बड़े बुजुर्ग और बच्चों का ख्याल रखेंगे। और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएंगे और इस कोरोना महामारी को धवस्त करेंगे। पहले पक्षी पिंजरे में थे और हम आजाद थे/आज हम पिंजरे में है और पक्षी आजाद हैं।  हम कोशिश करेंगे और फिर से आजाद पंछी बनकर उड़ेंगे। घर में रहिये और सुरक्षित रहिये।

*मन्नत गोयल, भीलवाड़ा

 


इस विशेष कॉलम पर और विचार पढ़ने के लिए देखे- लॉकडाउन से सीख 


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