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हल्दी घाटी - युध्द 



*रामगोपाल राही

 

बिगुल बजे रणभेरी संग में ,

राणा की ललकार उठी |

मुगल सेना  से -टकराने ,

राणा की तलवार उठी ||

 

रणवीरों  की आवाजों से ,

हल्दीघाटी गूंजी थी |

शाही सेना राणा आगे ,

लगती धूजी धूजी थी ||

 

एक तरफ महाराणा उनका ,

शौर्य तेज महान था |

सामने सम्राट ,अकबर का ,

गर्व बड़ा अभिमान था ||

 

युद्ध नगाड़े बजे निरंतर ,

शंख बजे रणभेरी थी |

बुलंन्द हौसले महाराणा के ,

हुई न थोड़ी देरी थी ||

 

भीषण युद्ध लड़ा था उनने ,

 मरे मुगल दल सेनानी |

छक्के छूटे मुगलों के थे ,

माँग सके ना वो पानी ||

 

महाराणा की सेना ने   सच ,

नाको चने चबाए थे |

आकुल व्याकुल मुगल सैन्य के ,

पल-पल होश उड़ाए थे ||

 

भिड़े रुण्ड से रूण्ड मुंड तो ,

कुचले अश्व की टापों से |

धूल धूसरित गगन दिशाएँ ,

धूल अश्व की टापों से ||

 

हल्दीघाटी युद्ध का समझो ,

खौफनाक वो मंजर था |

खून की नदियाँ बह निकली थी ,

बड़ा भयानक मंजर था ||

 

महाराणा का भाला भारी ,

उसके वार प्रहार से |

शत्रु मरे अनेकों उनकी 

दूधारी तलवार से ||

 

ठोकर खाते रुण्ड धड़ों पर , 

 घोड़े दौड़े जाते थे |

घोड़ों की टापू से बिखरे ,

शव छलनी हो जाते थे ||

 

 सैनिक कम थे पर राणा की ,

 क्षमता में थी कमी नहीं |

लड़ते ही वो  रहे निरंतर ,

गति लड़ने की थमी नहीं ||

 

हल्दीघाटी पट गयी थी ,

मुगल सैन्य दल लाशों  से |

दिवस  दिशा नभ धूमिल धूमिल ,

धूल अश्व की टापों से ||

 

मुगल सेना हौसला पस्त ,

पकड़ सकी  न राणा को |

युद्ध में भी छका छका वो ,

 जीत सकी ना राणा को ||

 

 धैर्य धीरता  और वीरता ,

महाराणा सी कहीं नहीं |

महाराणा के शौर्य तेज सी 

मिलती कोई नजीर नहीं ||

 

बलशाली महा योद्धा राणा ,

उनके जैसा और नहीं |

इतिहास में उनसे बढ़ के ,

कोई भी सिरमोर नहीं ||

 

स्वाभिमानी महाराणा की ,

गाथा गौरवशाली है |

शूर वीरता गरिमा उनकी ,

जग में महिमा शाली है ||

 

*रामगोपाल राही लाखेरी

 


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