*संजय वर्मा 'दृष्टि'
घर के कामों में
माँ से ही सिखा
ससुराल काम करने का पाठ
ताकि काम के ना आने पर
ताना देने के बाणों से
मुक्त हो सके।
कहा भी गया
माँ के चरणों में स्वर्ग होता
आशीष में होते
आशीर्वाद के मीठे फल
इन्हे कैसे पाया जाता
ये भी सिखा था माँ से ।
मैने भी माँ से सीखी
खुशियों को अपनों में
बाँट कर खुशहाली का माहौल
पैदा करना और
घर को स्वर्ग बनाना
क्रूर इंसानों द्धारा
जब कभी
भ्रूण -हत्या किए जाने की
खबरें सुनती तो
हो जाते मेरे
शरीर पर रोंगटे खड़े
रोकना होगा भ्रूण हत्या
क्योकि कई माँ
अपनी बेटियों को
घर का काम और शिक्षा की
सीख देने के लिए
आस लगाए बैठी
अपने -अपने द्धार ।
*संजय वर्मा 'दृष्टि',मनावर जिला -धार (म .प्र )
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