*सुनील कुमार माथुर
कल चौराहें के पास
चाय की थडी पर बैठा
मैं अपने दोस्तों के संग
गपशप कर रहा था
तभी वहां पर एक बालक आया और
कुछ मांगने लगा
उस हट्टे-कट्टे बालक को देखकर
मैंने कहां भैया !
मांगकर नहीं कमाकर खाईये
हमारे देश के
प्रधानमंत्री जी ने
आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है
देश का माल खरीदिए और
अपने देश में ही रोजगार कीजिए
बालक ने जरा इधर-उधर देखा और
फिर बोला : -
बाबूजी ! दिन दहाडे देश में
सरे बाजार में गोली चलती है
आप , हम , पुलिस सभी
दोषियों को पकडने में लाचार है
दिन दहाडे नारी की
अपने ही देश में इज्जत लूटी जा रही है
आप , हम , पुलिस सभी
दोषियों को पकडने में लाचार है
दिन दहाडे बैंक लूटे जा रहें है
चोरी , डकैती , हेराफेरी हो रही हैं
मादक पदार्थों की तस्करी हो रही हैं
धोखाधडी व ठगी हो रही हैं
रिश्वत का बाजार गर्म है
आप , हम , पुलिस सभी
दोषियों को पकडने में लाचार है
यह सभी असामाजिक तत्व
आत्मनिर्भर हैं
आप कैसी आत्मनिर्भरता की
बात कर रहें है
आत्मनिर्भरता की बातें
केवल लच्छेदार भाषणों में
अखबार व टी वी चैनलों की
खबरों तक ही सीमित है
वहीं अच्छी लगती है
भाषणों के चक्कर में रहें तो
आपके पास है वह भी
आप खो देंगे
इतना लम्बा-'चौडा भाषण देकर
वह बोला बाबूजी !
जरा अपनी जेब देखिये
मैंने जब जेब टटोली तो
मेरा पर्स गायब था
बालक बोला जो पर्स ले गया
वह आत्मनिर्भर बन गया
बाबूजी ! छोडों इन बातों को
आत्मनिर्भरता यही है कि
सुनों सबकी , करों मन की
मैं अपनी मूर्खता पर पछताया और
भविष्य में जो
जैसा चल रहा है चलने दीजिए
लेकिन
कभी किसी को राय मत दीजिए का
संकल्प लेकर घर लौट आया और
समझ गया कि
आत्मनिर्भरता क्या हैं ?
*जोधपुर राजस्थान
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