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आडम्बर



*विनय मोहन 'खारवन'

" मां ये दिनू के घर किसकी शादी है ।बड़े शामियाने आदि लगा रखे हैं।" मैंने पूछा।

"बेटा ये शादी नहीं ,उसकी मां की तेरहवीं है ।"मां ने धीरे से कहा।

"पर वह मरी कैसे? क्या बीमार थी?" मैंने अफसोस से कहा।

"हां बेटा ,उसे टीबी थी ।"मां बोली।

"पर मां टीबी का इलाज तो हो सकता था।" मैंने कहा।

"पैसे ही कहां थेबेचारे के पास ।"मां नेगहरी सांस छोड़ते हुए कहा।

"मगर इस तेहरवीं के लिए  इतना खर्चा कैसे कर रहा है दिनू।"मैंने अचरज से पूछा।

"कर्ज़ लिया है साहूकार से बेचारे ने ।"मां ने दीनता से कहा।

"मगर मां उसने अपनी मां के इलाज के लिए कर्ज क्यों नहीं लिया ?"मैंने हैरानी से पूछा।

मां निरुत्तर थी।

और मैं सोचता रह गया। इन आडम्बरों पर इतना पैसा खर्च कर दिया ,केवल लोक दिखावे के लिए। मगर जब जिंदा थी उसकी मां तो उसका इलाज ना करवा सका। अजीब है यह रिवाज भी ।

*जगाधरी, हरियाणा

 


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