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जीवन के अनियन्त्रित प्रवाह को शिथिल करना





लॉक डाउन ,एक वैश्विक महामारी कोरोना का अस्थायी निदान है , जब तक कि आपके पास इस महामारी का सही और स्थायी उपचार नहीं आ जाता है | लॉक डाउन का यूँ तो शाब्दिक अर्थ है ताला बंदी , परन्तु यहाँ इसका भावार्थ है जीवन के अनियन्त्रित प्रवाह को शिथिल करना | यह ठीक ऐसा है जैसे पाचन क्रिया को सुधारने के लिए उपवास कर शरीर को थोड़े समय के लिए विश्राम दे कर उसका उपचार करना |

यह लॉक डाउन हमें बहुत कुछ सिखाता है जैसे

1-संयम और स्व अनुशासन , यह एक ऐसा शस्त्र है जिसका प्रयोग विपरीत एवम् विषम परिस्थितियों में किया जाता है | आज की परिस्थिति में जबकि हमारे पास इस महामारी की कोई कारगर दवा नहीं होने के कारण मात्र यही विकल्प शेष रह जाता है |

2.आत्म विश्लेषण ,इस लॉक डाउन के चलते सदाशयता और बिना आत्मश्लाधा के साथ किया गया आत्म विश्लेषण आपके व्यक्तित्व को बहुत ही सुंदरता से निखार सकता है | यह प्रक्रिया आपके पारिवारिक संबंधों को सुधारने में भी सहायता ही करेगी |  3.उत्तरदायित्व एवम् संवेदनशीलता , हर व्यक्ति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन तो करता है परन्तु अगर हर मानव अपने दायित्वों का निर्वहन संवेदनशीलता के साथ करें तो कदाचित् प्रकृति भी हमारे साथ न्यायोचित् व्यवहार ही करती | मात्र 60 से 70 दिनों के लॉक डाउन में प्रकृति में बहुत तेज़ी से सुधार आया है और अगर हम भविष्य में संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं तो हम भू मंडलीय उष्मीकरण का भी निराकरण सफलतापूर्वक कर सकते हैं | मैंने यहाँ कोई नयी बात नहीं बताई है , हमारे शास्त्रों में और समय-समय पर विद्वानों ने अधोलिखित सलाहों का विश्लेषण कर मानव समाज को अनुग्रहित किया है , तदुपरांत भी हम लोगों ने हमारे इतिहास से कुछ नहीं सीखा है | यह एक विश्व व्यापी आपदा है और मर्यादित जीवन ही ऐसी आकस्मिक आपदाओं से सही तरीक़े से लड़ सकता है।


*उदित नागर ,रतलाम ( म.प्र. ) 

 


इस विशेष कॉलम पर और विचार पढ़ने के लिए देखे- लॉकडाउन से सीख 


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