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सच बहुत याद हैं,आते वो बीते हुए दिन



*आशु द्विवेदी


सच बहुत याद हैं,आते वो बीते हुए दिन।


मेरा स्कूल से आना और उसका  दरवाजे पर।

मेरा इंतजार करते हुए वो मिलना। 

सच बहुत याद हैं।आते वो इंतजार के दिन।

जुते कंही तो जुराबें कहीं फेंकना।

और फिर उसका वो मुझे। 

लापरवाह कहते हुए उन्हें समेटना।

सच बहुत याद हैं।आते वो लापरवाही के दिन

फिर बिठा के प्यार से उसका। 

अपने हाथों से वो खाना मुझे खिलाना।

सच बहुत याद हैं।आते वो प्यार भरे निवाले

क्या क्या हुआ स्कूल में आज सब कुछ उसे बताना। 

बिन रुके बस बक बक करते जाना। 

सच बहुत याद हैं।आते वो बकबक भरे दिन। 

हल्की सी चोट लगने पर उसे ज्यादा दर्द बताना। 

और फिर उसका ज्यादा ख्याल मेरा रखना। 

सच बहुत याद हैं।आते वो ख्याल भरे दिन। 

दीदी दीदी कर के उसका दुपट्टा पकड़े के चलना। 

सच बहुत याद हैं।आते उसके साथ गुजारे हुए 

प्यार भरे वो लम्हे।

 

*आशु द्विवेदी, दिल्ली

 


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