*सोनल पंजवानी*
शांत ये मन
उज्ज्वल चेतन
स्थिर जीवन।
सुंदर धरा
उन्मुक्त है गगन
प्यारा आँगन।
सुगम साथ
किलकता आँगन
पूर्ण जीवन।
तुम्हारे बिन
मेरे मन भावन
कुछ ना भाए।
किसी भी ठौर
जब तुम हो गए
व्याकुल मन।
आने की आस
रह रह समायी
मन आँगन।
आन बसो जी
अब मन पुकारे
सजना द्वारे।
*सोनल पंजवानी,इंदौर*
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