*प्रीति शर्मा "असीम"
मर्यादा का कीर्तिमान राम से है।
त्याग का अमिट उदाहरण राम से है।।
मैं कैसे न गर्व करूँ।
मैं वंशज हूँ राम का,
जीवन का हर सत्य राम से है।
संयम की असीम कथा राम से है।
प्रेम की अमिट व्यथा भी राम से है।।
मैं कैसे न गर्व करूँ।
मैं वंशज हूँ राम का,
जीवन का हर सत्य राम से है।
सेवा का मौलिक किनारा राम से है।
समर्पण की जीवंत धारा राम से है।।
मैं कैसे न गर्व करूँ।
मैं वंशज हूँ राम का,
जीवन का हर सत्य राम से है।
कर्त्तव्य परायणता का सुंदर उदाहरण राम से है।
समाज को राह दिखाता हर ज्ञान राम से है।
मैं कैसे न गर्व करूँ।
मैं वंशज हूँ राम का।
जीवन का हर सत्य राम से है।
जीवन को प्रकाशित करता,
ज्योतिमय आलोक राम से है।
जीवन में सौंदर्य भरता,
सौम्य सौंदर्य राम से है।।
मैं कैसे न गर्व करूँ।
मैं वंशज हूँ राम का।
जीवन का हर सत्य राम से है।
जीवन को सींचता,
मरन को सत्य करता।
राम नाम सत्य भी राम से है।।
स्वरचित रचना
*प्रीति शर्मा "असीम" नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
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