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भारत से भूख-प्यास तथा आर्थिक तंगी का निराकरण



*डॉ० सिकन्दर लाल

संकट की इस घड़ी में मानव एवं जीव-जन्तु से युक्त भारत माता को उभारने हेतु हमारे द्वारा अपनी क्षमतानुसार लिखे गए इस बात को सरकार तक पहुँचाने हेतु लिख रहा हूँ।

बहुत बड़ा इस संकट के समय हमारे भारत देश रूपी पावन धाम के सभी समूह 'क' एवं समूह 'ख' के सभी विभागों के अधिकारी पेन्सन भोगी सहित अपने अप्रैल माह  2020 का वेतन सरकार को दान कर दे| समूह 'ग' का कर्मचारी आधे महीने का, शिक्षा विभाग - प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के सभी शिक्षक पेन्सन भोगी सहित भी , मैं भी श्रद्धा पूर्वक इस पवित्र कार्य में सहयोग करुँगा| इस हेतु सरकार एक शासनादेश निकालकर माह अप्रैल 2020 का वेतन ( जो मई 2020 में मिलेगा) भुगतान न करें इसके लिए मैं भी तैयार हूँ  ,माह मई 2020 का वेतन तो मिल भी गया, जिन्हें नहीं मिला है, उन्हें भी मिलेगा ही| इसी तरह ईमानदारी पूर्वक प्राईवेट व्यक्ति (खिलाड़ी, एडवोकेट,व्यापारी,डॉक्टर, इंजीनियर, अभिनेता/ अभिनेत्री, देश-समाज का नेता, मंत्री आदि सभी) जिनका आय प्रतिमाह  रुपये 50000 या उससे कहीं अधिक की कमाई कर रह है वह भी इस पवित्र कार्य में एक महीने की कमाई का पैसा सरकार  को दान करे। धार्मिक संस्थान एक तरह से सरकारी माना जाय इसलिए धार्मिक संस्थान का पूरा पैसा, जमीन आदि सरकार के संरक्षण में हो ,जो इसमें रह रहे हैं इनके लिए उसी तरह से खाने-पीने की कुछ दिन हेतु व्यवस्था हो जैसे कि एक साधारण आदमी की क्योंकि कि कुछ लोग इनको साधु- सन्त मानते हैं , जब  ईश्वर की कृपा से कोरोना वायरस रूपी महामारी समाप्त हो जाये तो इन्हें अपने घर भेज दिया जाय, ये भी मेहनत - परिश्रम करके पेट भरें न कि धर्म के नाम पर जमीन कब्जा करके और उसमें मन्दिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा इत्यादि का निर्माण करके और इसमें बैठकर भोले-भाले मानव को झूठ-मूठ का प्रवचन देके,उनके मेहनत की कमाई को ठगकर | इनमें से जिनके पास घर, खेत-बारी आदि बिलकुल कुछ नहीं है उन्हें गरीबी रेखा का राशन कॉर्ड बनाकर सेवा-सुरक्षा आदि प्रदान किया जाय न कि धर्म के नाम पर  वीआईपी सेवा-सुरक्षा देकर|आय से अधिक अर्थात् बहुत अधिक बेईमानी से इकट्ठा करने वाले लोग कहने का तात्पर्य जो अपनी आधी-अधूरी सम्पत्ति का ब्यौरा देकर कम इनकमटैक्स देते हैं उनको भी कठोरता से कडा़ई करके, आय से अधिक पैसा, जमीन, मकान जब्त करके सरकारी कस्टडी में लिया जाए| सरकार एवं बुद्धिजीवी व्यक्ति के सहयोग से यह जो जमीन, पैसा इत्यादि सरकारी संरक्षण में जब हो जायेगा तब हमारे देश की कुछ अर्थव्यवस्था में मज़बूती आयेगी|  इस पैसा, जमीन तथा घर आदि से उस मानव का समुचित सहयोग किया जाय ,जो इस संकट की घड़ी में बहुत अधिक परेशान है अर्थात् जिनके पास रहने का  घर, दो बीघा जमीन से कम खेती -बारी या फिर है ही नहीं, सरकारी सर्विस नहीं है, इनके लिए पारदर्शिता पूर्वक खतौनी, राशनकार्ड, पैनकार्ड, आधार कार्ड , मतदाता पहचान पत्र या फिर वास्तविक स्थिति को देखकर ईमानदारी के साथ ग्राम प्रधान,लेखपाल आदि राजस्व विभाग या फिर और विभागों का सहयोग लेकर, समुचित व्यवस्था किया जाय तथा शेष बचे हुए पैसे से भविष्य में अस्पताल, विद्यालय- महाविद्यालय- विश्वविद्यालय या फिर अन्य महत्तवपूर्ण सरकारी संस्थान आदि की समुचित व्यवस्था हेतु किया जाय तो मुझे लगता है फिर वैदिक राज्य आ जायेगा और मानव एवं जीव-जन्तु के जीवन में पुनः कुछ  सुख-शान्ति लौट आयेगी।

सन्त तुलसीदास की इस पावन पंक्ति के साथ अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ-

नाथ सकल सम्पदा तुम्हारी।

 मैं सेवक समेत सुत नारी।।

 

*डॉ० सिकन्दर लाल, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) 

 


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