*माया बदेका
वह बदहवास सी दौड़ती आई थी।
अम्माजी मुझे काम से न हटाइये,अम्माजी मुझ गरीब पर दया कीजिए।
क्या हुआ कमली, अचानक ऐसे क्यों दौड़ी चली आई है।कहा था ना तुझे अभी काम पर नहीं आना है।
नहीं-नहीं अम्माजी मुझे कुछ नहीं हुआ है। कुछ लोग बोल रहे थे,
अब काम बंद तो पैसा बंद ।महिने की पगार नहीं मिलेगी।
अम्माजी बच्चों को क्या खिलाऊंगी।काम पर आती हूं तो सब घर से मुझे थोड़ा बहुत बचा हुआ खाने को मिल जाता है,मुझे भी चाय मिल जाती है।पगार भी नही और बचाखुचा भोजन भी नहीं?
बच्चें बीमारी से नहीं भूख से --?
नही नही कमली तू इन फालतू की अफवाह पर ध्यान न दे और घर जा।
रूलाई आ गई कमली को--
बेबस कमली बस आंखों में बोल पड़ी---
महामारी का नाश हो।
*माया बदेका, उज्जैन
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