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आओ हम आलू बन जाएं



*डॉ रश्मि शर्मा

आओ हम आलू बन जाएं

सर्वधर्म समभाव फैलाएं।
गोभी शिमला बैगन मटर बिन

आलू ना कटता सफर।
हम आलू बन गए अगर,

हंसते हंसते कटेगा जिंदगी का सफर।
हर सब्जी का है साथ निभाता,

सहयोग का हमको पाठ सिखाता।
ना पूछे किसी सब्जी की जात

जिसे जितनी जरूरत उतना देता साथ।
बच्चे बुड्ढे सबकी पसंद,

सब में भरता उमंग और तरंग।
सबसे घुल मिल जाता आलू,

ना छोड़ता किसी को तन्हा आलू।
सदा रखना इसे अपने साथ,

सब जुदा होते जहां आलू देता सबका साथ।
कोरोना मैं जब सब ने छोड़ा हमारा

साथ आलू है आज भी हमारे साथ।
आओ हम आलू बन जाए मिटाकर

मतभेद जहां के आओ सबका साथ निभाए।
तोड़कर समाज की जंजीरों को

आओ नया समाज बनाएं।
आओ हम आलू बन जाए

सबके संग जुलकर गाएं,

सद्भाव कि हम ज्योत जलाएं।
आओ हम आलू बने जाएं

सर्वधर्म समभाव फैलाएं।

*डॉ रश्मि शर्मा,उज्जैन (म.प्र.)

 


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