*डॉ. अनिता जैन 'विपुला'
जीवन एक पुस्तक सरीखा
इससे मैंने बहुत कुछ सीखा
अनेक रंगी पन्नों की भाँति
हर रंग है इसमें समाया
साँसों की जिल्द से बंधे इसमें
हर अहसास को मैंने पाया
कभी सुख की हरियाली
तो कभी दुःख के काले बादल
साथ चलते साथी और
कुछ मुँह सिकोड़े
दूर खड़े दुश्मन-से
मेरी आँखें , मेरा हृदय
मेरा मन, मेरा मस्तिष्क
तल्लीन है इसके एक एक
शब्द रूपी क्षणों को जीने में
जानने में, समझने में
अन्तर्द्वन्द्व कभी तो कभी
सब कुछ साफ-साफ सा
बस इस जीवन को पढ़ते-पढ़ते
खो जाती हूँ अगली जीवन यात्रा में....
*डॉ. अनिता जैन 'विपुला', उदयपुर
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