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समझे जनता कर्फ्यू को



*पुनीता भारद्वाज


आज जो बात मैं आपको कहने जा रही हूँ वह माननीय  प्रधानमंत्री मोदी जी के देश के नाम संबोधन को लेकर है । उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की जो बात की, कुछ लोग उसमें भी  कुतर्क ढ़ूँढ़ रहे हैं । यही हमारे देश की विडंबना है कि  जब भी देश हित की बात हो हम या तो उसमें भी चुटकुले ढ़ूँढ़ने लगते हैं और कुतर्क करने में अपना समय और ऊर्जा नष्ट करने लगते हैं। क्या एक दिन घर में रहकर राष्ट्र हित में इतनी-सी सी आहूति देने में हमारा कुछ जाता है  ? सरकार और चिकित्सा विभाग द्वारा दी जाने वाली जानकारी और  गाइड लाइन का पालन करना हम सभी के लिए आवश्यक भी है और हमारा कर्त्तव्य भी है। निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं को भी स्वविवेक से निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए । इस दौरान होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई तो समय अंतराल में पूरी की जा सकती है किंतु जान-माल को होने वाले नुक़सान और  होने वाली परेशानी व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि देश के लिए भी ठीक नहीं है। 
बचपन से स्वानुशासन की आदत होने से व्यक्ति बिना किसी दबाव के अनुशासित रहकर बहुत- सी मुसीबतों को टाल सकता है । अतः यह वही समय है जब आप स्वानुशासित रहकर विश्व व्यापी महामारी से लड़ सकते हैं और विजयी हो सकते हैं। मैं इसलिए इस वायरस से अपने को बचाना चाहती हूँ क्योंकि मैं अपने आप को बचाकर घर मैं अपनी बुजुर्ग माँ को बचा सकती हूँ, मैं पड़ोस में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चों को बचा सकती हूँ , मैं स्कूल मैं अपने स्टाफ को बचा सकती हूँ ,मैं घर पर  अपने परिवार को बचा सकती हूँ, मेरे संपर्क में रहने वाले सभी व्यक्तियों को संक्रमण से बचाकर देश को अपना योगदान देकर एक अच्छे नागरिक होने की जिम्मेदारी पूरी कर सकती  हूँ। मैं बचूँगी ,परिवार‌ बचेगा , रिश्तेदार बचेंगे ,पड़ोस बचेगा ,समाज बचेगा , देश बचेगा ,विश्व बचेगा । दिन रात सेवा कार्य में लगे चिकित्सा महकमें से जुड़े  सभी  लोगों का हृदय से आभार ।‌इस प्रकार सहयोग करके मैं उन लोगों पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को भी कम कर सकती हूँ। 


जय हिन्द...वंदेमातरम् ।


*पुनीता भारद्वाज 
प्रिंसिपल द वेदांत इंटरनेशनल स्कूल भीलवाड़ा राजस्थान


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