*सुषमा दिक्षित शुक्ला
निर्भया  की   बेचैन  सी रूह को,
न्याय का हक़ मिल गया आज है।
देर  से ही  सही  मगर  नारियों ,
दोषियों को न बख्शा गया आज है।
कुछ सबक सीख लें अब दरिंदे सभी,
ये भारत की धरती है ना असुरराज है।
माता बहनों के शुचि मान सम्मान का,
आज फिर  से हुआ एक आगाज है।
नीच रावण के पुतले अभी तक जलें,
फिर सबक एक आया नया आज है ।
पाप का  दण्ड मिलता  रहेगा सदा ,
यह तो कुदरत का ही एक अंदाज है।
*सुषमा दिक्षित शुक्ला
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