*रितु तोमर
एक ख्याल सा तू,
या हसीन ख्वाब ,कैसे कह लूँ
मेरे साथ सा तू ,
या बस एहसास ,कैसे कह लूँ
एक मंजिल सा तू,
या बस तलाश, कैसे कह लूँ
मैं मुसाफिर जहाँ, वहाँ एक राह सा तू
या बस इत्तेफ़ाक़ ,कैसे कह लूँ
मेरी ज़िन्दगी की, हर साँस में तू
मैं भी तेरी , कैसे कह लूँ।
*रितु तोमर
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