*सविता दास सवि
मैं ना खेलूँ
होली
संग तेरे
ओ कान्हा
गोपियोँ संग
मसखरी तेरी
मोहे ना सुहाए
मैं जलूँ तो
क्यों आनन्द
तोहे आवे
प्रीत से तेरे
रँगी मैं युगों से
फिर क्यों औरों संग
गुलाल रंगावे
कोरी चुनरी तेरे
प्रीत के रंग से
रंग ली है जब से
कोई रंग इस पर
अब ना चढ़े,
इस फ़ागुन तू
वादा कर
ना रुलाएगा मोहे
आँखिन चुराके सबसे
हाथ थाम जो ले मेरा
सातों जनम बस
नाम कर दूँगी तोरे....
*सविता दास सवि
तेजपुर ,असम
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