Subscribe Us

भोज शोध संस्थान में गूंजी फिर समकालीन कविताएं 






 


 

धार /- हल्की गुलाबी ठंड लिए ढलता दिन और उसमें जुड़ते सुधी श्रोता, ठीक समय पर कवि एवं अतिथियों का आगमन।  कविताएं जैसे-जैसे कवि मुख से उद्धृत होती गई श्रोताओं के मुख पर कभी खिलखिलाहट कभी मुस्कान तो कभी ठहाके उभरते रहे। अवसर था एक कवि की कविताएं शीर्षक से भोज शोध संस्थान में इंदौर के प्रसिद्ध और वरिष्ठ हास्य कवि श्री प्रदीप नवीन की कविताओं की प्रस्तुति का। भोज ठहाका क्लब की संकल्पना में हास्य कविताओं से सृजित शाम हास्य पूरित सरस्वती वंदना "वीणा वादिनी वर दे तुलसी सुर और संत कबीरा धूमिल जायसी और मीरा इनके फ्लैट जहां विश्व में चर्चित वही मुझे घर दे वीणा वादिनी वर दे" से आरंभ हुई । कविताओं में हास्य के साथ विविध रस भी सहज बरसने लगे। श्री प्रदीप का व्यंग गीत " हम कटक गए खुद भटक गए" भी विशेष रूप से सराहा गया।  "अपनों ने कबाड़ा कर दिया सारा तन उघाड़ा कर दिया" जैसे हास्य गीतों ने जीवन के यथार्थ को ऐसे उद्धृत किया की पूरा सदन कवि के विचारों से तालमेल बिठाते नजर आया।

 


 

इस काव्य संध्या की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ हास्य कवि श्री संदीप शर्मा ने श्रोताओं को खूब हंसाया। उन्होंने कहा कि कवि की एक कविता भी इतिहास बदल देने की सामर्थ्य रखती है। सर्वश्रेष्ठ लेखन स्वान्तः सुखाय होता है। सृजन बाह्य जगत के लिए नहीं आत्म सुख के लिए करना चाहिए। व्यक्ति नहीं परमात्मा के लिए किया गया सृजन हर युग में स्वीकार्य होता है। स्वागत भाषण देते हुए  भोज शोध संस्थान के  निर्देशक  डॉ दीपेंद्र शर्मा ने बताया कि संस्थान में  हिंदी भाषा और क्षेत्रीय बोलियों को लेकर  निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं,  उसी कड़ी में  एक कवि की कविता शीर्षक का यह आयोजन  साहित्य और  श्रेष्ठ लेखन को  बढ़ावा देने का प्रयास है। अथितियों द्वारा सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण के बाद वंदना श्रीमती वैशाली देशमुख ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन हरिहर दत्त शुक्ला ने और आभार गजलकार ईश्वर दुबे नकोई व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत श्री निसार अहमद और चित्रकार श्री प्रेम सिकरवार ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक डॉ ओ पी बोरीवाल ने भेंट किये। यह जानकारी कवि कैलाश बंसल ने दी है।

 


 

 


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/ रचनाएँ/ समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखे-  http://shashwatsrijan.com



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ