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आखिर मिल हीं गया  निर्भया को इंसाफ



*सुरेश शर्मा



हे कानून के रखवाले !
तेरे भाईचारे वाले प्यारे से  देश में ,
बार बार टलती रही  निर्भया पर ,
बेखौफ जुल्म करने वालों की फांसी ।
क्या एक बार भी रोक  पाया था तू ,
हमारे कर्म वीर क्रान्तिकारी सपूत
भगत सिंह और खुदीराम बोस की फांसी ।

हे कानून के रखवाले !
निर्भय होकर जिसने बापू के सीने में गोली थी दागी ,
कैसे गलत ठहराऊ मैं  उस इंसान को  ;
जो सीख देकर  गया हमे ,
बगावत और इंसाफ  वाली कहानी ।
लालच में लथपथ लोग आज
बेच रहें है इमान धर्म और शर्म का पानी ।

हे कानून के रखवाले !
अस्मत लूटी जा रही  है माँ बहनों की आज ,
हर रोज गली चौराहों पर ,
खुलेआम जुल्मी घूम रहे है करके मनमानी ।
फिर क्यों ना दोहराना चाहती  हैं ये ,
झांसी  की रानी वाली फिर से कहानी ।
छीन क्यों ना लेती है अपनी हंसने की आजादी।

हे कानून के रखवाले !
खुश है आज देश की हर माँ और बहन जो ;
निर्भया को आज तूने दिलवाया इंसाफ  ;
बार बार टांग अड़ाने  वाले उस वकील को
आज उसकी असली औकात दिखायी
जो  निरंतर अदालत के फैसले से
करता रहा मनमानी और खींचा-तानी ।

आखिर मिल हीं गया निर्भया को इंसाफ ,
वर्ना  सवाल उठाती  हमारी देश की जनता ;
कैसा है कानून और देश की न्याय प्रणाली ।
ना जाने कबतक  वहशी दरिन्दे दोहराते  ,
निर्भया पर हुए जुल्मों की कहानी ।

*सुरेश शर्मा, नूनमाटी
गुवाहाटी  (आसाम)


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