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बच्चों में अच्छे संस्कार के बीज बोती हैं राजन जी की कविताएँ
















 

आज के नौनिहाल ही कल के नागरिक होंगे, जिनके हाथों में देश और समाज की कमान होगीl  देश और समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिए जरूरी है कि आज के नौनिहालों में अच्छे संस्कार डाले जाएँ, ताकि वे आगे चलकर कर्मठ और जिम्मेदार नागरिक बनेंl

किसी विद्वान ने क्या खूब लिखा है, ‘‘बच्चों के लिए लिखना बच्चों का खेल नहीं है।’’ आज के सूचना प्रौद्योगिकी युग में जहाँ बच्चे माँ की गोद से उतरकर पिता की उंगली पकड़ने से पहले स्मार्ट फोन पकड़ लेते हैं, स्कूल में भर्ती होने से पहले ही आँखों में मोटा चश्मा चढ़ जाता है, जिनके आदर्श माता-पिता, दादा-दादी या कोई महापुरुष नहीं बल्कि विभिन्न टी.व्ही. चैनलों में प्रसारित सीरियल्स के कार्टून कैरेक्टर डोरीमोन, लोमिता, हनी, बनी,  मोटू-पतले या शक्तिमान हैं, उनके लिए लिखना और उनको टी.व्ही. सीरियल या यूट्यूब की बजाय बाल साहित्य की ओर मोड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। 

इस चुनौती को स्वीकार करते विगत चार दशक से बाल मनोविज्ञान पर आधारित उत्कृष्ट कोटि के बाल साहित्य लेखन में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ युवा साहित्यकार, चित्रकार, संपादक एवं प्रकाशक राजकुमार जैन ‘राजन’ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। तन-मन-धन से दर्जनों साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े राजन जी की बच्चों के लिए कविता और कहानियों की हिन्दी, अंग्रेजी, असमिया, उड़िया, पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी और मराठी भाषा में तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा वे कई स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं के बाल साहित्य विशेषांक के अतिथि संपादक भी रह चुके हैं।

‘राजन’ जी की लिखी हुई समीक्षित पुस्तक ‘पेड़ लगाओ’ का प्रकाशन सन् 2019 में अयन प्रकाशन, नई दिल्ली से हुआ है, जिसमें उनकी 85 बाल कविताएँ संग्रहीत हैं। बाल साहित्य के पुरोधा डॉ. श्रीप्रसाद जी एवं डॉ. राष्ट्रबंधु जी को समर्पित इस पुस्तक की भूमिका लिखा है प्रख्यात साहित्यकार डॉ. दिविक रमेश और सुरेन्द्र गुप्त ‘सीकर’ जी ने। फ्लैप पर पुस्तक के संबंध में अपने विचार प्रकट किए हैं डॉ. चक्रधर नलिन जी ने।

पुस्तक का नाम ‘पेड़ लगाओ’ पढ़कर हमें सहज ही ऐसा लगने लगता है कि इसमें राजन जी की पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित कविताएँ ही होंगी, परन्तु जब हम पुस्तक पढ़ना आरम्भ करते हैं तभी स्पष्ट हो जता है कि ‘पेड़ लगाओ’ में संग्रहीत कविताएँ विविधमुखी हैं। इनमें जहाँ बालसुलभ शरारतें, जिद, जिज्ञासाएँ और सहज प्रश्नानुकुलता हैं, वहीं मासूम शिकायतें भी कम नहीं हैं। गाँव ही नहीं, शहर भी है। 

वैसे भी बच्चों की दुनिया निराली होती है। इसका ध्यान कवि राजकुमार जैन 'राजन' जी को सदैव बखूबी रहता है। यही कारण है कि उनकी कविताओं में जहाँ गुड्डे-गुड़िया की शादी है, वहीं जंगल के राजा शेर की शादी भी है, जंगल में चुनाव है, तो पेड़ की छाँव और शहर से बढ़िया गाँव भी है। नदिया-सी लहराती रेल है तो मीठी वाणी का जादू है। बिल्ली मौसी का टी.व्ही. है, तो बंदर की दूकान है। रेल, घोड़ा, हाथी, शेर, चीता, लोमड, बन्दर, भालू, चूहे, बिल्ली, कबूतर, बतख, मोर, कुल्फी, नदी-नाले, मेले, तालाब, पेड़-पौधे, फूल, खेत, हरियाली, होली, दिवाली, बादल, बरसात, छाता, सपेरा, मास्टर जी, दादा-दादी, नाना-नानी, पुस्तक, इंटरनेट, कंप्यूटर, रोबोट आदि बच्चों के पसंद की सभी चीजें बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत की गई हैं। हर कविता का शीर्षक अर्थपूर्ण है, जिससे बच्चे सहज ही परिचित हो सकेंगे। हर कविता एक सार्थक सन्देश भी है, जो अंततः बच्चों में सु-संस्कार का बीजारोपण करेगी।  

संग्रह की पहली ही कविता ‘रोबोट एक दिला दो राम’ की ये पंक्तियाँ देखिये जिसमें एक मासूम कल्पना को किस खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें सिर्फ अपनी ही सुविधा नहीं, बल्कि माँ की भी चिंता है :-

रोबोट किया करेगा अब से

मेरे घर का सारा काम  

मम्मी को भी मिल जाएगा

कुछ पल को थोड़ा आराम।   

‘पेड़ की छाँव’ कविता में बहुत ही सहज रूप से बच्चों से कवि कहते हैं 

इसी छाँव में खेल खेलते

खुश रहते हैं बच्चे  

कभी न चाहो बुरा किसी का

सदा रहो तुम सच्चे।  

‘मेंढक का बुखार’ शीर्षक की कविता में कवि राजकुमार जैन 'राजन' खेल-खेल में ही बच्चों से वे कहते हैं :-

मौसम अच्छा नहीं अभी है

हो जाएँगे हम बीमार 

पानी में यदि रहे भीगते

चढ़ जाएगा हमें बुखार।  

सामान्यतः मास्टर जी की छबि ज्यादातर बच्चों के मन में एक रिंग मास्टर की तरह होती है, परन्तु कुछ शिक्षक ऐसे भी होते हैं, जो बच्चों से असीम स्नेह रखते हैं :-

मम्मी–पापा से भी ज्यादा

प्यार लुटाते हम पर 

इसीलिए तो हम बच्चे हैं

उन्हें चाहते जी भर।  

राजन जी स्कूली बच्चों के बस्ते के बढ़ते बोझ की समस्या को बच्चों की भाषा में बहुत सरल भाषा में लिखते हुए अपनी चिंता व्यक्त करते हैं :- 

नहीं समझता कोई आखिर

क्यों मेरी मजबूरी 

रट्टू तोता बनने से क्या

शिक्षा होती पूरी।  

थोड़ी समझ बड़ों को दे दो

ओ मेरे प्यारे भगवान

बस्ता हलका करवा दो तो

पढ़ना हो जाये आसान।

कवि देश की वर्तमान दशा और भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। ‘फिर आओ बापू’ कविता में वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को फिर से आने का आह्वान करते हैं :-

एक बार फिर आओ बापू

आकर देश बचाओ बापू 

भ्रष्टाचार यहाँ पर फैला

नहीं ज़रा भी इस पर काबू। 

राम-राज्य का स्वप्न खो गया

और स्वदेशी मंत्र सो गया 

सोने की चिड़िया था भारत

आज विदेशी दास हो गया।

राजन जी की कुछ कविताएँ ऐसी भी हैं जिनमें में वे बच्चों को देशहित में अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा देते हैं। जैसे :-

हँसना और हँसाना अपना

जीवन का आदर्श हो 

देश हित मर मिटें हम

चाहे जितना संघर्ष हो।

दीन-दुखियों की करें सेवा

मानवता का कल्याण करें 

उच्च आदर्शों पर चलें सदा

राष्ट्र का उत्थान करें।    

***    ***     ***

काँटों में भी फूल खिलाएँ

इस धरती को स्वर्ग बनाएँ

आओ सबको गले लगाकर

यह गणतंत्र का पर्व मनाएँ।

इसी प्रकार ‘अच्छी बात नहीं है’ शीर्षक कविता में राजन जी बच्चों को बहुत ही रोचक शैली में कुछ अच्छी बातें सिखाते हैं :-

ज्यादा बनना और संवरना

सबसे लड़ना और झगड़ना 

बात–बात में कुट्टी करना

बिलकुल अच्छी बात नहीं है।

काम समय पर कभी न करना

ऊपर से फिर रौब जमाना 

बढ़–चढ़ कर के बातें करना

बिलकुल अच्छी बात नहीं है।  

'पेड़ लगाओ' कविता की ये पंक्तियां देखिए, जिसमें कवि बच्चों से पर्यावरण संरक्षण की बात कितनी सहज भाषा में करते हैं :-

बात पते की खुद भी समझो

और सभी को समझाओ

अगर चाहिए शुद्ध हवा तो

इस धरती पर पेड़ लगाओ।

धूल, धुआँ, जहरीली गैसें

पी जाता है सारी

शुद्ध ऑक्सीजन हमको देकर

रक्षा करे हमारी।   

बच्चों की मानसिक स्तर के अनुरूप ही ‘पेड़ लगाओ’ पुस्तक की भाषा सहज, सरल, सरस और प्रवाहमयी है। इस पुस्तक की डिजाईनिंग एवं साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया गया है। कविताओं के साथ प्रयुक्त भावपूर्ण चित्र जहाँ पुस्तक की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे हैं, वहीं ये बच्चों को आकर्षित भी करते हैं। पुस्तक में व्याकरणिक एवं वर्तनीगत अशुद्धियाँ भी नगण्य हैं। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि यह संग्रहणीय पुस्तक छोटे-छोटे बच्चों और किशोरों को ही नहीं, बड़ों को भी पसंद आएगी और बाल साहित्य जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाएगी।


* बाल कविता संग्रह - पेड़ लगाओ

* कवि - राजकुमार जैन 'राजन'

* प्रकाशक - अयन प्रकाशन, नई दिल्ली

* प्रकाशन वर्ष - 2019

* संस्करण - प्रथम

* पृष्ठ - 108

* मूल्य - ₹ 250

* समीक्षक - डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

 


- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

विद्योचित ग्रंथालयाध्यक्ष

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम

पेंशनबाड़ा, रायपुर (छ.ग) 492001

मोबाइल नंबर 9827914888, 9109131207



 














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