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समर्पयामि फाउण्डेशन द्वारा ‘हाइकु’ पर कार्यशाला



टीकमगढ़// समर्पयामि फाउण्डेशन के परिचर्चा मंच में 'विश्व हाइकु दिवस' पर एक कार्यशाला व गोष्ठी आयोजित की गयी कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्जवल कर हाइकु रचना में बुन्देली के प्रथम हाइकुकार राजीव नामदेव 'राना लिधौरी ने सरस्वती वंदना के हाइकु पढ़े। कार्यशाला के अध्यक्ष केशव की अध्यक्षता में टीकमगढ़ जिले के विद्वान त्रय हाइकुकार राजीव नामदेव'राना लिधौरी', रामगोपाल रैकवार एवं अभिनंदन गोइल द्वारा समीक्षा विद्वान का पद ग्रहण किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य 'हाइकु की कार्यशाला' पर समर्पयामि फाउण्डेशन अध्यक्ष द्वारा हाइकु रखना,शिल्प एवं इसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला गया। तत्पश्चात् उमाशंकर मिश्र ने संचालन की बागडोर संभाली। तीनों समीक्षा विद्वानों द्वारा हाइकु के जन्म, इतिहास व कम अक्षरों में प्रभावशाली बात कह देने की उपयोगिता पर वक्तव्य दिया।
कार्यशाला की समीक्षा करते हुए अभिदंन गोयइल व रामगोपाल रैकवार के अभिकल्पन अवधारणा की भूरि-भूरि प्रशंसा की, दो हायकु संग्रह 'रजनीगंधा' एवं नौनी लगे बुन्देली' के सृजनकर्ता राजीव नामदेव राना लिधौरी ने बताया कि यह प्रदेश में हाइकु पर होने वाली पहली कार्यशाला है इससे पहले म.प्र. में इस प्रकार की कार्यशाला नहीं हुई है। इस कार्यशाला से हमें चार नये हाइकुकार मिले है इस प्रकार के आयोजन से और भी नये हाइकु लेखक उभर कर सामने आयंेगे। इस कार्यशाला में जहाँ प्रत्येक हाइकुकारो के हाइकुओं पर समीक्षा की गयी उन्हें हाइकु लेखन के बारीरियाँ बतायी हैं। उमापाराशर ने ऐसे कार्यक्रम की महत्ता बताते हुए शुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम की संयोजिका गीतिका वेदिका ने बताया कि समर्पयामि फाउण्डेशन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रतिबद्ध है।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी ने हाइकु सुनाये-   देश खतरा/गांधी जी के बंदरा/ भये पथरा।।
ढूँढे निगाहें/ कातिल यहाँ कौन/सब है मौन।।
आज का प्रैम/ अश्लीलता से भरा/ पाप का घड़ा।।
रामगोपाल रैकवार ने सुनाया-   हाइकु क्या है/जीवन अनुभव/कम शब्दों में।
खस्ता करारे/काजू नहीं जनाब/नेता हमारे।।
अभिनंदन गोइल ने सुनाया- हे शारदा माँ/शीतल बहार सा/सुविचार दे
कथाकार श्री महेन्द्र भीष्म जी ने आॅन लाइन चैन्ने से हाइकु सुनाये-संग पढ़ेगे/ समता मूलक पाठ/ संग बढेगे।।
ना पाया नेह/मुझको क्यों बनाया/अधूरी देह।।
गीतिका वेदिका ने सुनाया- अंधेरा जीता/छिटेकती रोशनी/जीवन बीता।
ढिक लीपती/अथिति आगमन/जगायी ज्योति।।
उमाश्ंाकर मिश्र ने सुनाया-जिन्दगी नदी/बहती चली जाती/राह बनाती।
चाँद मोहम्मद आखिर ने सुनाया- नहीं रहेगा/जीवन सुखमय/किया गुनाह।
योगेन्द्र तिवारी ने सुनाया- न्याय हो कब/आश लगी है अब/जीवन खत्म।।
विशिष्ट गुप्ता ने पढा-कहना चाहा/पर कह ना पाया/सोचा बहुत।
पूरनचन्द्र गुप्ता ने हाइकु सुनाया-गीता गायन/मिलती खूब शिक्षा/ हे नारायण।
राहुल पाराशर ने सुनाया- कभी गोष्ठी/कभी कागज पर/ समीक्षा लिखी।
राजेन्द्र चतुर्वेदी ने सुनाया-सोच विचार/विशुद्ध करो यार/जग सुधरे।
इस अवसर पर कथाकार महेन्द्र भीष्म ने चैन्ने से एवं अनुभा अग्रवाल झाँसी ने भी आनलाइन आकर अपने हाइकु सुनाये।
अंत में उमा पाराशर एवं टिकू द्वारा सभी को मिट्टी के बर्तनों में अल्पाहार कराया। कार्यशाला का संचालन उमाशंकर ने किया तथा सभी आभार संयोजन एवं समर्पयामि की निर्देशिका गीतिका वेदिका ने माना।

 

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